शिक्षकों के आश्रितों को तृतीय श्रेणी में दी जाएगी नियुक्ति: सतीश द्विवेदी
शिक्षकों के मृतक आश्रितों को उसकी योग्यता के हिसाब से तैनाती दी जाएगी। यदि शैक्षणिक योग्यता कम भी हो तो भी उसे तृतीय श्रेणी में ही नियुक्ति दी जाएगी। किसी भी शिक्षक के आश्रित को किसी भी परिस्थिति में में चतुर्थ श्रेणी में नियुक्ति नहीं दी जाएगी। इसके लिए प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। जल्द ही इसका आदेश आ जाएगा।
ये बातें रविवार को बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) सतीश चन्द्र द्विवेदी ने कही। वे सेंट एण्ड्रयूज कॉलेज में गुआक्टा द्वारा आयोजित अभिनंदन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मंत्री होने के बाद भी उनके अंदर सदैव एक शिक्षक का दिल धड़कता है। प्राथमिक शिक्षा के दायित्व निर्वहन के दौरान वे शिक्षकों के सम्मान व गरिमा का ध्यान रखते हैं। प्राथमिक शिक्षकों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षकों को शिक्षा के साथ अन्य तमाम कार्य करने पड़ते हैं। इसलिए प्रदेश के 1.59 लाख प्राथमिक विद्यालयों में अनुचर की नियुक्ति का निर्णय लिया गया। अगले दो-तीन महीनों में इनकी नियुक्ति हर विद्यालय में हो जाएगी। उच्च शिक्षा की बाबत उन्होंने कहा कि उप मुख्यमंत्री से वे जब भी मिलते हैं, उच्च शिक्षा की बेहतरी पर चर्चा करते हैं। उन्होंने महाविद्यालयों व शिक्षकों की समस्याओं के समाधान के हर संभव कोशिश का आश्वासन दिया।
गुआक्टा के पदाधिकारियों द्वारा प्रमुख रूप से दो मांगें रखी गईं। पदाधिकारियों ने बताया कि विश्वविद्यालय के पीएचडी शिक्षकों को 5 इंक्रीमेंट मिलता है जबकि डिग्री कॉलेजों के शिक्षकों को यह नहीं दिया जा रहा। इसके अलावा उच्च शिक्षा अधिकारी कार्यालय गोरखपुर में निजी भवन में है। 5 वर्षो से बजट पड़ा है लेकिन जमीन नहीं मिल रही। बेसिक शिक्षा मंत्री ने कहा कि डायट परिसर में जगह है, वहां कार्यालय के लिए जमीन उपलब्ध करा दी जाएगी। गुआक्टा ने इस पर उनसे गोरखपुर विश्वविद्यालय परिसर में ही उच्च शिक्षा अधिकारी कार्यालय बनाने की मांग की। शिक्षा मंत्री ने कोशिश करने का आश्वासन दिया।
इससे पूर्व सतीश द्विवेदी का गुआक्टा के पदाधिकारियों व सदस्यों ने भव्य स्वागत किया। इस अवसर पर सेंट एण्ड्रयूज कॉलेज के प्राचार्य डॉ. जेके लाल, गुआक्टा के अध्यक्ष डॉ. एसएन शर्मा, महामंत्री केडी तिवारी, पूर्व अध्यक्ष डॉ. शेषमणि त्रिपाठी, पूर्व अध्यक्ष डॉ. भगवान सिंह, गुआक्टा के 21 महाविद्यालयों के पदाधिकारी व कई महाविद्यालयों के प्राचार्य मौजूद थे।