उत्तराखण्ड : राजकीय प्राथमिक विद्यालय बेडपुर के शिक्षक संजय वत्स का नाम टीचर्स बुक ऑफ रिकॉर्ड -2020 में हुआ शामिल
राजकीय प्राथमिक विद्यालय बेडपुर के शिक्षक संजय वत्स का नाम टीचर्स बुक ऑफ रिकॉर्ड -2020 में शामिल हुआ। शिक्षक संजय वत्स को शिक्षा के क्षेत्र में अपनी नवाचारी गतिविधियों के लिए कई जिला, राज्य, राष्ट्रीय स्तरीय सम्मान प्राप्त हो चुके हैं।
अासाम बुक ऑफ रिकार्डस(आसाम)व बंगाल बुक ऑफ रिकार्डस(प0बंगाल)के संयुक्त तत्वाधान में पब्लिश होने वाली टीचर्स बुक ऑफ रिकार्डस के संस्थापक मंजीत शर्मा ने बताया कि बुक में देश के किर्तीमान स्थापित करने वाले शिक्षको की उपलब्धियां शुमार होंगी।इस उपलब्धि को लेकर क्षेत्र के शिक्षको ने संजय वत्स को अग्रिम बधाई दी हैं।
जागरूकता फैलाने के लिए हमेशा से कठपुतली कला का योगदान रहा है। आधुनिक समाज में भले ही व्यापक रूप से कठपुतली के शो अब न हो रहे हों, लेकिन स्कूलों में बच्चों को कठपुतली जरूर भाने लगी है। खेल-खेल में सिखाने की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए उत्तराखंड राज्य के हरिद्वार जनपदअंर्तगत रूडकी ब्लॉक के राजकीय प्राथमिक विद्यालय बेडपुर के शिक्षक संजय वत्स स्कूली बच्चों को कठपुतली के जरिए शिक्षा दे रहे हैं।
ज्ञान का पिटारा है दस्ताना कठपुतली!!
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भारत देश में मूलत: चार प्रकार की कठपुतली होती हैं। ये हैं, धागा पुतली, दस्ताना पुतली, छड़ पुतली और छाया पुतली। दस्ताना पुतली से शिक्षक संजयवत्स लगभग हर विषय को दर्शाने में सक्षम हैं। शिक्षक संजय वत्स बच्चों में पढ़ाई के प्रति दिलचस्पी पैदा करने के अलाव नुक्कड नाटको के जरिये जनजागरूकता अभियान भी चलाते हैं। स्कूल, गांवों में कन्या भ्रूण हत्या, पोलियो, साक्षरता, बालिकाओं को स्कूल जाने की प्रेरणा, जल संरक्षण, विकलांगता आदि विषयों को रोचक तरीके से पेश करते हैं।पुतलीकला का उपयोग शिक्षण में करते हैं।
सबको भा गई कठपुतली!!
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विशिष्ट बीटीसी-2009 के जरिए प्राथमिक विद्यालय बेडपुर में सहायक अध्यापक नियुक्त हुए। उन्होंने टीचिंग लर्निग मैटीरियल के तहत छोटी छोटी कठपुतलियां बनाकर बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। सांस्कृतिक स्त्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र (सीसीआरटी) उदयपुर द्वारा कठपुतली पर हुए ट्रेनिंग प्रोग्राम में हरिद्वार से संजय वत्स को शामिल होने का मौका मिला। 2015 से जिले में कठपुतली के जरिए शिक्षण को आगे बढ़ाया।
बच्चों को रोकने लगी कठपुतली!!
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वह वर्ष 2009 से प्राथमिक विद्यालय बेडपुर में कार्यरत हैं। बताते हैं यह पद्धति बच्चों को स्कूल में रोकने में सफल रही। सीसीआरटी की कार्यशाला में भी बतौर गैस्ट उन्होने इस कला की शिक्षकों को ट्रेनिंग दी गयी हैं।
“तालीम का सवेरा” दीवार पत्रिका का संचालन
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बुनियादी शिक्षा मे सुधार के लिए अब प्राथमिक शिक्षक को नवाचारी शिक्षण विधाओ के प्रयोग करना प्रासंगिक हो गया है!प्राईवेट स्कूलो मे एक्टिविटी बेस शिक्षण का कांसैप्ट काफी प्रभावी साबित हुआ है ,सो प्राथमिक विद्यालयो मे भी गतिविधियो पर आधारित शिक्षण होना ही चाहिये! एक ऐसा ही कांसैप्ट है वॉल मैग्जीन यानि दीवार पत्रिका का! दीवार पत्रिका में बच्चे बोलचाल की भाषा में मन की बात को सहज रूप से व्यक्त कर पाते हैं। ऐसा करने में उन्हें आनंद का अनुभव तो होता ही है, साथ ही मस्तिष्क का स्वाभाविक विकास भी होता है। बच्चों की भाषायी दक्षता का विकास भी होता है। बच्चे अपने चिंतन को टूटी-फूटी भाषा में दबाव मुक्त होकर व्यक्त करते हैं। इससे उनके आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
अन्य उपलब्धियां!!
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1-सीसीआरटी से संबद्ध सांस्कृतिक क्लब "बाल मुस्कान"का गठन व संचालन।
2-विपनैट से संबद्ध साईंस क्लब "ऑक्सीजन"का गठन।
3-स्वैच्छिक शिक्षको के समूह "मंथन"के जरिये देश भर के शिक्षको के साथ सरकारी शिक्षा के हितार्थ कार्य।सिद्धांत वाक्य *-हम सबकी है जिम्मेदारी,बेहतर हो शिक्षा सरकारी।-*
आपका बहुत बहुत आभार दयानंद त्रिपाठी जी ।आपने हमारी उपलब्धियों के विषयक जानकारी अपने विख्यात पोर्टल पर प्रसारित किया पुन:आभार।
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