ALLAHABAD HIGHCOURT, FAKE : हाईकोर्ट का आदेश यूपी में 2823 फर्जी अध्यापकों की बर्खास्तगी वैध
प्रयागराज। विधि संवाददाता
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एसआईटी जांच रिपोर्ट एवं डॉ भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा की रिपोर्ट के बाद सत्र 2005 की बीएड की फर्जी डिग्री के आधार पर प्रदेश के विभिन्न जिलों के प्राथमिक विद्यालयों के सहायक अध्यापकों की बर्खास्तगी को वैध करार दिया है।
न्यायालय ने कहा कि फर्जी डिग्री से हुई नियुक्ति शून्य एवं अवैध है। ऐसी नियुक्ति को निरस्त कर बर्खास्तगी के लिए विभागीय जांच की जरूरत नहीं है क्योंकि फ्राड और न्याय एकसाथ नहीं रह सकते। न्यायालय ने कहा कि सरकार फर्जी अध्यापकों से वसूली करने के लिए स्वतंत्र हैं। यह भी कहा कि जिनकी डिग्री सही है, उन्हें बहाल कर वेतन भुगतान किया जाय। यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केशरवानी ने सहायक अध्यापिका नीलम चौहान सहित 608 अन्य लोगों की याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिया है।
विश्वविद्यालय ने 3637 फर्जी छात्रों को नोटिस दिया,जिसमें 2823 ने जवाब नहीं दिया। शेष 814 ने जवाब दिया है। जिनके बारे में निर्णय लिया जाना है। कोर्ट ने डॉ भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा को तीन माह में 814 अभ्यर्थियों के बारे में निर्णय लेने का निर्देश दिया है। साथ ही कहा कि यदि नियत अवधि में निर्णय नहीं लिया जाता तो सरकार 814 सहायक अध्यापकों के वेतन का 10 फीसदी विश्वविद्यालय के कुलपति, कुलसचिव व दोषी अन्य अधिकारियों के वेतन से कटौती सुनिश्चित करे। कोर्ट ने कहा है जिन अध्यापकों की डिग्रियां सही हैं, उन्हें बहाल किया जाए लेकिन जिन अध्यापकों की डिग्रियां सही नहीं है, उनमें छेड़छाड़ की गई है, ऐसे अध्यापकों की नियुक्ति को रद्द करना वैध है। जिन 814 अध्यापकों के बारे में अभी विश्वविद्यालय को जांच कर निर्णय लेना है, निर्णय होने तक उनके विरुद्ध उत्पीड़न की कार्रवाई न की जाए। कोर्ट ने विश्वविद्यालय को अन्य कार्यवाही पूरी करने के लिए छह माह का समय दिया है।
गौरतलब है कि 2004-05 में वित्तीय एवं गैर वित्तीय सहायता प्राप्त कॉलेजों में बीएड कोर्स की भर्ती परीक्षा ली। 57 कॉलेज सहायता प्राप्त एवं 25 कॉलेज स्व वित्तपोषित हैं। इनमें काउन्सिलिंग एवं प्रबंधक कोटे से प्रवेश दिया गया। कॉलेजों ने स्वीकृत सीटों से अधिक छात्रों का प्रवेश लिया। बाद में हाईकोर्ट के आदेश पर बीएड परिणाम घोषित कर दिया गया। इनमें से हजारों ने अध्यापक की नौकरी हासिल कर ली। बाद में फर्जी डिग्री की शिकायत पर एसआईटी को जांच सौंपी गई। एसआईटी ने 14 अगस्त 2017 को रिपोर्ट दी, जिसके आधार पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने फर्जी डिग्री वाले हजारों अध्यापकों की नियुक्ति रद्द कर उन्हें बर्खास्त कर दिया। याचिकाओं में इसे चुनौती दी गई थी।