महराजगंज : 03 मई विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर रचना प्रस्तुत है....शिक्षा को आधार मानकर जीवन-ज्योति जलाते हो, कलम को हथियार बनाकर सच्चाई से सरोकार...क्लिक कर पढ़े।
शिक्षा को आधार मानकर जीवन-ज्योति जलाते हो,
कलम को हथियार बनाकर सच्चाई से सरोकार कराते हो।
दुराग्रहों के काँटो पर चल आगे बढ़
समाज को सच्ची राह दिखाते हो
कितना निर्भय, निश्चल औ प्रेरणाप्रद तूँ
कलम से लिख सरकारों को भी चेताते हो।
सच्ची लगन कठोर परिश्रम के संकल्पों से
कर्म पथ पर बिना डरे चलते जाते हो
हर दिन हर क्षण भर नये उत्साहों से
दृढ़ निश्चय संकल्प बिन भय लिखते जाते हो
शिक्षा को आधार मानकर जीवन-ज्योति जलाते हो,
कलम को हथियार बनाकर सच्चाई से सरोकार कराते हो।
कभी दर्द बन कभी अश्रु बन चोट हृदय का
लक्ष्य पथ पर अन्याय नहीं सह पाते हो
रोक सकेगा ना कोई व्याकुल कलम की तेज धार को
कलम के सिपाही हो उन्नत वेग से बढ़ते जाते हो।
शिक्षा को आधार मानकर जीवन-ज्योति जलाते हो,
कलम को हथियार बनाकर सच्चाई से सरोकार कराते हो।
रचना - दयानन्द त्रिपाठी
व्याकुल
लक्ष्मीपुर, महराजगंज, उत्तर प्रदेश।