लखनऊ : विवि से लेकर स्कूल तक के सभी कोर्स में होगी कटौती, यूजीसी व एनसीईआरटी का काम शुरू, 30 से 40% तक हो सकती कमी।
विवि से लेकर स्कूल तक के सभी कोर्स में होगी कटौती
यूजीसी व एनसीईआरटी का काम शुरू, 30 से 40% तक हो सकती कमी
10वीं और 12वीं की सबसे पहले शुरू हो सकती है पढ़ाई
चार से पांच महीने में प्रस्तावित कोर्स को पूरा करने का लक्ष्य बना रहे।
कोरोना संकट से जल्द निजात न मिलने की आशंका को देखते हुए अब बच्चों की पढ़ाई और उनके भविष्य पर पड़ने वाले प्रभावों से निपटने को लेकर तेजी से काम शुरू हो गया है। इसके तहत विश्वविद्यालय से लेकर स्कूल स्तर के सभी कोसों में कटौती कर उन्हें छोटा करने की तैयारी हो रही है। मौजूदा स्थिति में सभी कक्षाओं के कोर्स में 30 से 40 फीसद तक कोर्स घटाने का प्रस्ताव है। हालांकि इस पर कोई भी अंतिम निर्णय तात्कालिक परिस्थितियों को देखते हुए लिया जाएगा। फिलहाल इसका जिम्मा यूजीसी और एनसीईआरटी को सौंपा गया है। जिन्होंने अपने स्तर पर काम भी शुरू कर दिया है। प्रस्तावित कोर्स को इस तरह से तैयार किया जा रहा है, जो चार से पांच महीने में पूरा हो जाए। बता दें कि देश भर में स्कूलों में नया शैक्षणिक सत्र एक अप्रैल से ही शुरू हो जाता है। जबकि कोरोना संकट के चलते 18 मार्च के बाद से स्कूल बंद पड़े है। यहां तक बोर्ड की परीक्षाएं भी रुकी पड़ी है। केंद्रीय विद्यालय संगठन से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए स्कूलों में सितंबर से पहले पढ़ाई शुरू होने में मुश्किल ही है। यह इसलिए भी है, क्योंकि जब तक सुरक्षा के कोई पुख्ता बंदोबस्त या फिर इसके संक्रमण का खतरा खत्म नहीं हो जाता तब तक किसी भी स्कूल के लिए बच्चों को बचाना खतरे से खाली नहीं होगा। हालांकि इस बीच दसवीं और बारहवीं के छात्रों को सुरक्षा के सख्त बंदोबस्त के बीच पढ़ाने की एक योजना पर जरूर काम किया जा रहा है, लेकिन कोई भी कदम सरकार के निर्णय के बाद ही लिया जाएगा। छात्रों की बोर्ड परीक्षाओं को देखते हुए इस दिशा में विचार चल रहा है। मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के मुताबिक कोरोना संकट के चलते नए शैक्षणिक सत्र में 12वीं का जो कोर्स तय होगा, उसी के आधार पर जेईई और नीट की 2020-21 की परीक्षाएं भी होंगी। इसे लेकर भी छात्रों के नुकसान को कम करने में जुटी मंत्रालय की उच्च स्तरीय कमेटी ने मंथन किया है। गौरतलब है कि जेईई और नीट की परीक्षाएं पूरी तरह से 12वीं की पाठ्यक्रम पर ही आधारित होती हैं। ऐसे में बच्चों को जो पढ़ाया ही नहीं जाएगा, उसकी परीक्षाएं कैसे ली जाएंगी।
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