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गोरखपुर : ऑनलाइन पढ़ाई ने बढ़ा दी है बच्चों की मुश्किल, आंखों पर दबाव ज्यादा, इन बातों का रखें खास ख्याल

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गोरखपुर : ऑनलाइन पढ़ाई ने बढ़ा दी है बच्चों की मुश्किल, आंखों पर दबाव ज्यादा, इन बातों का रखें खास ख्याल

ऑनलाइन कक्षाओं ने बढ़ाई आंखों की परेशानी, अस्पताल पहुंच रहे हैं बच्चे

आंखों पर ज्यादा दबाव, जलन सहित अन्य शिकायतें बढ़ीं

अमर उजाला ब्यूरो, गोरखपुर। कोरोना संकट और लॉकडाउन के बीच ऑनलाइन पढ़ाई ने बच्चों की मुश्किल बढ़ा दी है। जिला अस्पताल की इमरजेंसी ओपीडी में रोजाना आंखों की समस्या से जुड़े आठ से दस मामले सामने आ रहे हैं। इनमें सबसे ज्यादा छोटे बच्चे हैं, जिनकी आंखों में जलन सहित अन्य शिकायतें हैं। जिला अस्पताल के एसआईसी डॉ. एसके श्रीवास्तव के मुताबिक नेत्र विभाग की ओपीडी अभी नहीं शुरू हुई है, फिर भी जो मरीज आ रहे हैं, उन्हें उचित सलाह देकर भेजा जा रहा है।

केस-1

रुस्तमपुर की अनुराधा कहती हैं कि बेटा क्लास वन और बेटी एलकेजी में पढ़ती हैं। चार घंटे की ऑनलाइन क्लास होती है।किताब नहीं है, इसलिए होमवर्क भी मोबाइल फोन पर आता है। होमवर्क के दौरान भी दो घंटे तक मोबाइल फोन से देखकर उन्हें लिखना होता है। रात में सोते समय बेटा और बेटी दोनों की आंखें दर्द होती हैं। अब डॉक्टर से सलाह लेनी पड़ी है।
 
केस- 2

आजाद चौक की रहने वाली शगुन गुप्ता की भी समस्या कुछ इसी तरह की है। उनकी बेटी अंजली तीन घंटे की क्लास करती है। उसका सिर भारी रहता है। दर्द भी होता है। शगुन कहती हैं कि यह दिक्कत ऑनलाइन क्लास के बाद बढ़ी है। अब चिकित्सक से सलाह लेना है।छात्रसंघ चौराहा स्थित राज आई हॉस्पिटल के वरिष्ठ नेत्र विशेषज्ञ डॉ अनिल श्रीवास्तव ने बताया कि ऑनलाइन क्लास के दौरान बच्चों को मोबाइल फोन के बजाय लैपटॉप या फिर डेस्कटॉप का इस्तेमाल करवाना चाहिए, क्योंकि मोबाइल की स्क्रीन छोटी होती है इसलिए बच्चों की आंखों पर ज्यादा जोर पड़ता है। लैपटॉप की स्क्रीन को थोड़ी दूरी पर रखें।कुर्सी या फिर बेड पर छोटा टेबल लगाकर बच्चों को पढ़ाई कराएं। हर 20 मिनट पर ब्रेक लेने को कहें। हर 20 सेकेंड पर आंखों की पुतली को पूरी तरह से बंद कर खोलते रहें।दाउदपुर स्थित शंकर नेत्र चिकित्सालय के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. आशुतोष शुक्ला ने बताया कि बच्चों की आंखें बड़ों की अपेक्षा ज्यादा संवेदनशील होती है, उनमें लचीलापन ज्यादा रहता हैं। ऐसे में सुबह से देर रात तक मोबाइल, लैपटॉप देखने से सिर दर्द, आंखों में खुजली, धुंधलापन की शिकायतें बढ़ रही हैं, जो बच्चों के भविष्य के लिए ठीक नहीं है। पांच साल से लेकर 12 साल के बच्चों को ज्यादा सतर्कता बरतनी चाहिए। जिससे उनकी आंखों को नुकसान न पहुंचे।जेल रोड स्थित सृजन आई केयर के नेत्र सर्जन डॉ एएल राजन ने बताया कि जो बच्चे मोबाइल फोन से पढ़ाई कर रहे हैं, उनके साथ समस्या ज्यादा है। उनकी आंखों से पानी आना शुरू हो गया है। ऐसे केस क्लीनिक में आने लगे हैं। ऑनलाइन क्लास के दौरान मोबाइल फोन की जगह टेबलेट या फिर लैपटॉप का इस्तेमाल बेहतर होगा। इससे शब्द ज्यादा बड़े दिखेंगे, आंखों पर दबाव कम होगा। इसके अलावा ब्लू फिल्टर का भी उपयोग कर सकते हैं। इससे आंखों पर स्ट्रेन कम होगा।दस नंबर बोरिंग स्थित सूर्या नेत्रालय के नेत्र सर्जन डॉ. संतोष तिवारी ने बताया कि आई स्ट्रेस की समस्या बढ़ी है। बच्चे मोबाइल फोन को नजदीक से देखते हैं। इससे दूर दृष्टि दोष का खतरा बढ़ता है। आंख की मांसपेशियां उसी हिसाब से सेट हो जाती हैं। नर्सरी के बच्चों को भी ऑनलाइन पढ़ाया जा रहा है। सबसे बड़ा खतरा मोबाइल एडक्शिन का है। तीन-चार घंटे तक लगातार ऑनलाइन क्लास आंखों की सेहत के लिहाज से ठीक नहीं है।

इन बातों का रखें विशेष ख्याल

संगम आई हॉस्पिटल के नेत्र सर्जन डॉ. वाई सिंह ने बताया कि आंखों में सूखेपन की समस्या बढ़ी है। ऑनलाइन पढ़ाई से आंखों पर दबाव पड़ता है। तीन घंटे तक लगातार क्लास की जगह एक-एक घंटे के अंतराल पर क्लास हो तो ज्यादा अच्छा रहेगा। 

बहुत नजदीक से मोबाइल फोन पर पढ़ाई नहीं करना चाहिए। 

आर्टिफिशियल टीयर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। पलक झपकाने का 20-20-20 का रूल होता है। इसका मतलब है कि हर 20 मिनट बाद आंखों को 20 सेकेंड का आराम दें।

ऑनलाइन क्लास  के समय लगातार 45 मिनट के बाद आंखों को पांच मिनट तक बंद रखना चाहिए।

क्लास करते समय बार-बार पलक झपकाते रहना चाहिए, क्योंकि जब ब्लिंक रेट कम होता है तो आंखों में सूखापन आ जाता है।

लेटकर ऑनलाइन क्लास नहीं करनी चाहिए। इससे दिक्कत बढ़ती है।

लगातार एक घंटे तक मोबाइल या लैपटॉप का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

मोबाइल फोन को एकदम पास रखकर नहीं पढ़ना चाहिए।

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