लखनऊ : अब मास्क भी बनेंगे स्कूल ड्रेस का अहम हिस्सा, कोरोना खोलेगा निजी स्कूलों की कमाई का नया रास्ता
संवाददाता/लखनऊ। डाक्टरों और वैज्ञानिकों के अनुसार वैक्सीन बनने के बाद भी कोरोना को समाप्त होने में दो वर्ष से अधिक का समय लग सकता है। तब तक कोविड-19 के प्रोटोकाल का पालन सभी को करना पड़ेगा। हाथों को बार-बार ६ गोना या सैनिटाइजर करना पड़ेगा। साथ ही मास्क का अनिवार्य रूप से प्रयोग करना पड़ेगा। बाजारों में भी अभी से कपड़ों से मैच करते फैंसी डिजायनर मास्क उपलब्ध होने लगे है। खादी के बने रंग-बिरंगं मास्क पूरी दुनियां में जा रहें है और खादी को ग्लोबली पहचान भी मिल रही है। मास्क पर कोटेशन भी लिखें हुआ है। कोरोना काल में परंपरागत बोरिंग मास्को से लोगों का मन उचट गया है। जब लोगों को मास्क
जा
कम से कम पांच सौ और अधिकतम एक हजार रूपये तो होगी ही। साथ
लगाना ही है तो उसमें भी फैशन होना चाहिए। स्कूल कालेज के विद्यार्थियों को भी मास्क पहनना ही कम से कम तीन तरह के अलग-अलग मास्क तो लेने ही पड़ेगें। सामान्य ड्रेस के साथ अलग मैचिंग, सफेद ड्रेस के साथ अलग और हाउस ड्रेस के साथ अलग मास्क तो होगा ही । पब्लिक स्कूलों के शिक्षकों को भी ड्रेस कोड के अनुसार मास्क अनिवार्य ही होगा। यहां पर स्कूल कालेज प्रबन्धन ड्रेस की एकरूपता और स्कूल की पहचान दिखाने के लिये मास्क भी अपनी ही बतायी दुकान से खरीदना अनिवार्य कर देगा। ड्रेस की ही तरह मास्क भी स्कूल की ड्रेस से जूतों मोजो की पहनना अनिवार्य होगा। कोरोना काल तरह मैचिंग का होगा। उस पर में राष्ट्र को संबोधित करते समय जिन डिजायनर खादी के अगौछों का प्रयोग प्रधानमंत्री ने किया था। वह आजकल काफी ट्रेन्ड में है और फैशन में भी आ गया है।
इससे स्वदेशी और आत्मनिर्भर भारत की ब्राण्डिग भी हो रही है। आज के युवा इसको काफी पसंद भी कर रहे स्कूल का लोगों भी लगा होगा इतना तो स्कूल प्रबंधन देश हित में करेगा कि वह खादी के ही बने मास्क स्कूल के बच्चों के लिये अनिवार्य करेगा जिनकों घर में धोया सके। जिस हैसियत का स्कूल होगा मास्क की कीमत भी उसी के है और प्रयोग भी कर रहे है। इससे खादी उद्योग को भी फायदा हो रहा है। अनुसार वसूली जायेगी। शुरूआत
Kisi bhi tarah ka mask pehne ki ijazat honi chahiye students ko.koi bandish nahi honi chahiye.
जवाब देंहटाएं