नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में स्कूली बच्चों को मध्यान्ह भोजन न मिलने से केन्द्र सरकार नाराज, मध्यान्ह भोजन की सुरक्षा के लिए दिशा निर्देश तैयार
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए जहां खान-पान को बेहतर रखते हुए इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत बनाए रखने जैसी सलाहें दी जा रही है, वहीं यूपी, महाराष्ट्र सहित देश के कई बड़े राज्यों में स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को लॉकडाउन के बाद से मिड-डे मील ही नहीं दिया गया है। जो उनका अधिकार भी है। इसके बाद तो केंद्र ने ऐसे सभी राज्यों को जमकर फटकार लगाई है। साथ ही उड़ीसा जैसे राज्यों से सबक लेते हुए स्कूली बच्चों को कुकिंग कास्ट के साथ तुरंत मिड-डे मील उपलब्ध कराने के निर्देश दिए है। उड़ीसा ने अपने यहां स्कूलों बच्चों को 90 दिन का मिड-डे मील एक साथ ही उपलब्ध करा दिया है।
लॉकडाउन के बाद से इन राज्यों में बच्चों को नहीं दिया जा रहा है मिड-डे मील
केंद्र ने वैसे तो लॉकडाउन के बाद ही एहतियातन सभी राज्यों को बच्चों को नियमित मिड-डे मील उपलब्ध कराने के निर्देश दे दिए थे। हालांकि बाद में लॉकडाउन की अवधि को बढते देख मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने गर्मी की छुट्टियों में भी बच्चों को मिड-डे मील उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। साथ ही इसे लेकर अतिरिक्त राशि भी जारी की। वाबजूद इसके मंत्रालय ने हाल ही में जब राज्यों से मिड-डे मील के वितरण का ब्यौरा मांगा, तो उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु जैसे राज्यों में मिड-डे मील नहीं दिए जाने की जानकारी सामने आई। हालांकि इसके लिए राज्यों ने दूसरे मोर्चो पर अपनी व्यस्तताओं का हवाला दिया। लेकिन मंत्रालय ने राज्यों के तर्को को खारिज करते हुए ऐसे समय में बच्चों के मिड-डे मील के वितरण को भी जरूरी बताया। वहीं हाल ही में हुई पीएबी (प्रोग्राम एप्रूबल बोर्ड) की बैठक में इसे लेकर भारी नाखुशी जताई।
केंद्र ने खाद्य सामग्री उपलब्ध कराने के बावजूद कई राज्यों ने मिड-डे मील बच्चों तक नहीं पहुंचाया
मानव संसाधन विकास मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक राज्यों को जब समय पर मिड-डे मील से जुड़ी सारी खाद्य सामग्री उपलब्ध करा दी गई है, इसके बाद भी बच्चों तक उन्हें नहीं पहुंचाया गया। मंत्रालय का कहना था कि जब लॉकडाउन के चलते स्कूल बंद है, तो इस काम में स्कूलों के शिक्षकों की मदद ली जा सकती है। जैसे उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, बिहार, छत्तीसगढ जैसे राज्यों ने किया है। मंत्रालय ने इस बीच सभी राज्यों से बच्चों के मिड-डे मील को तुरंत पहुंचाने के लिए कहा है। गौरतलब है कि स्कूलों में मिड-डे मील स्कीम ऐसे ही बच्चों के लिए शुरू की गई है, जिन्हें घरों में ठीक से भोजन नहीं मिल पाता है। स्कीम से जुड़े देश के करीब 11 करोड़ स्कूली बच्चों में यूपी के करीब दो करोड़ और महाराष्ट्र के करीब एक करोड़ बच्चे शामिल है।
कोरोना के चलते मिड-डे मील के लिए भी बनेंगे दिशानिर्देश
कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते मंत्रालय ने स्कूलों में बनने वाले मिड- डे मील के लिए भी एक नई सेफ्टी गाइड लाइन तैयार करेगा। जिसके तहत खाना तैयार करने से लेकर उसे परोसने आदि के लिए एक मानक तय होंगे। साथ ही इस बाद का पूरा ख्याल रखा जाएगा, कि बच्चों को जो भी खाना उपलब्ध कराया जाए, वह पूरी तरह से सुरक्षित हो। इस दौरान खाना बनाने में लगे लोगों के स्वास्थ्य से लेकर बच्चों को खाना परोसने के दौरान संक्रमण से बचने के लिए पर्याप्त दूरी रखने जैसे नियम भी तय होंगे। वहीं सब्जी की सफाई आदि को लेकर पूरी तरह से सतर्कता बरतने के उपाय शामिल किए जाएंगे। मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक स्कूलों के खुलने से पहले यह गाइडलाइन तैयार कर सभी को उपलब्ध करा दी जाएगी।