शाहजहांपुर : कोरोना से लड़ाई के साथ बच्चों की पढ़ाई लिखाई पर भी फोकस
शाहजहांपुर । इस वक्त कोरोना फ्री है, धीरे-धीरे वहां जिंदगी पटरी पर लौट रही है, पर बीते 12 मार्च तक ऐसा नहीं था। अचानक खबर आई कि तबलीगी जमात से आए कुछ लोग शाहजहांपुर में छिपे हुए हैं। डीएम शाहजहांपुर इंद्र विक्रम सिंह यह खबर मिलते ही अलर्ट हो गए उन्होंने सभी संदिग्ध इमारतों को सर्च करवाना शुरू किया। एक मस्जिद में जमात से जुड़े एक व्यक्ति की खबर मिली। जब पुलिस और प्रशासन के लोग वहां पहुंचे तो पता चला कि यह शख्स थाइलैंड का रहने वाला है। इसकी जांच हुई तो यह कोरोना पॉजिटिव निकला। साथ ही शुरू हुआ जमातियों की धरपकड़ और शाहजहांपुर जिले में कोरोना की रोकथाम का सिलसिला। डीएम ने कोरोना से लड़ाई तो लड़ी पर लॉकडाउन में सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों की पढ़ाई पर कोई असर न हो, इसके लिए भी ‘शाहजहांपुर पाठशाला’ नाम से यू-ट्यूब चैनल शुरू किया। जिसे सरकारी स्कूलों के बच्चे भी लॉकडाउन में अपनी ऑनलाइन पढ़ाई कर सके।
सूचना तंत्र और सर्च ऑपरेशन
इंद्र विक्रम बताते हैं कि 12 मार्च को जब तबलीती जमात के लोगों के शाहजहांपुर में होने की खबर मिली तो हमने सबसे पहले पुलिस और प्रशासन के अफसरों के साथ सूचना तंत्र विकसित किया, इसमें ग्राम प्रधानों, पूर्व ग्राम प्रधानों के साथ ग्राम पंचायत सचिवों की मदद ली गई। 12 मार्च को ही इनकी निगरानी समितियां बना दी गईं, जहां सूचना मिली, वहां पुलिस की मदद से मोहल्लों और गांवों में सर्च ऑपरेशन चलाया गया और तलाशी में 24 जमाती मिले। इनमें एक बीमार समेत नौ थाइलैंड के, 12 उत्तराखंड के और दो तमिलनाडु के भी थे। इन्हें क्वारंटीन कर दिया गया और फिर इनके सैंपल लेकर जांच भी करवाई गई। लेकिन एक के अलावा कोई पॉजिटिव नहीं मिला। जिन लोगों ने सूचना छिपाई थी, सबको जेल भी भेज दिया गया। जिन इलाकों से जमाती मिली, उसे कंटेनमेंट जोन घोषित करते हुए आसपास का करीब एक किलोमीटर का क्षेत्र पूरी तरह सील कर दिया गया। करीब 8,250 घर इस क्षेत्र में थे, एक-एक घर में प्रशासन और मेडिकल की टीम ने जाकर उनकी पूरी हिस्ट्री ली। जिन घरों में 65 साल की उम्र के ऊपर के बुजुर्ग या बीमार थे। सबके सैंपल भी लिए गए। अब तक 921 सैंपल लिए जा चुके हैं। हालांकि सभी निगेटिव निकले हैं। स्थानीय समाजसेवी शुचित सेठ बताते हैं कि यह हमारे डीएम की कोशिश थी, जिससे जिला पूरी तरह से सेफ है। डीएम ने ज्यादातर घरों को खुद अपनी निगरानी सैनिटाइज करवाया और जिस इलाके को सील किया गया, वहां डोर स्टेप डिलिवरी के जरिए किसी को सामान की कोई किल्लत नहीं होने दी।
अफसरों ने बच्चों का पूरा करवाया कोर्स
इंद्र विक्रम सिंह बताते हैं कि बच्चों की पढ़ाई कराने में जिले के अफसरों, टीचर्स ने भी काफी मदद की। वह कहते हैं कि ‘शाहजहांपुर पाठशाला’ का यह चैनल तब शुरू कर दिया गया था, जब प्राइवेट स्कूल भी ऑनलाइन पढ़ाई के बारे में सोच ही रहे थे। इसमें जिला प्रशासन, पुलिस विभाग के अफसरों के साथ जो जिस विषय में पारंगत था, उन्होंने कोर्स पूरा करने लिए खुद बच्चों को पढ़ाया। इनमें खासतौर पर मकसद था कि 9 से 12 तक के सरकारी स्कूलों, इंटर कॉलेजों में पढ़ने वाले यूपी बोर्ड के स्कूली बच्चों की मदद कर दी जा सके। खुद एक-एक विषय की पढ़ाई के सेशन अपलोड इस चैनल पर अपलोड किए। यह अनूठा प्रयोग था, जो बच्चों को भी खूब भाया।
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