प्रयागराज।इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इविवि) और संघटक महाविद्यालयों में नए सत्र के लिए संयुक्त शोध प्रवेश परीक्षा (क्रेट) की तैयारी जा रही है, जबकि मौजूदा सत्र में क्रेट के तहत चयनित अभ्यर्थियों की प्रवेश प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हो सकी है। ऑक्टा ने इस पर सवाल उठाते हुए कुलपति को ज्ञापन देकर मांग की है कि मौजूदा सत्र की पीएचडी प्रवेश की प्रक्रिया शीघ्र पूरी की जाए, ताकि नए सत्र में पीएचडी की सीटों की संख्या को लेकर भ्रम की स्थिति न रहे।इविवि एवं संघटक महाविद्यालयों में पीएचडी में प्रवेश के लिए सत्र 2019-20 के लिए आयोजित क्रेट में सफल अभ्यर्थियों की प्रवेश प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं की जा सकी है। कभी फीस के विवाद तो कभी दूसरे मामले में पीएचडी प्रवेश की प्रक्रिया अटकी रही। नतीजा कि महाविद्यालयों के ज्यादातर विभागों में पीएचडी में प्रवेश अब तक पूरा नहीं हो सका है। इविवि के भी कई विभागों में सत्र 2019-20 की पीएचडी प्रवेश की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है, जबकि नया सत्र शुरू होने का समय करीब आ गया है।
नए सत्र के लिए क्रेट के तहत आवेदन की प्रक्रिया जून के पहले सप्ताह से प्रस्तावित है। पुरानी प्रवेश प्रक्रिया पूरी न हो पाने के कारण नए सत्र में पीएचडी की सीटों की संख्या को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है। ऑक्टा के अध्यक्ष डॉ. सुरेंद्र प्रताप सिंह और महासचिव डॉ. उमेश प्रताप सिंह ने कुलपति को ज्ञापन प्रेषित करते हुए कहा है कि पिछले सत्र की परीक्षा में अर्ह छात्रों का प्रवेश संपन्न कराए बगैर दूसरी परीक्षा का आयोजन कराना पिदले सत्र के अर्ह छात्रों के साथ अन्याय होगा। इससे प्रवेशार्थियों में भ्रम की स्थिति बनी रहेगी। कुलपति से मांग की गई है कि सत्र 2019-20 के क्रेट की प्रवेश प्रक्रिया शीघ्र संपन्न कराई जाए और इसके बाद ही सत्र 2020-21 के लिए क्रेट के आवेदन लिए जाएं।
सोशल डिस्टेंसिंग के साथ पूरा कराया जाए शोध
इलाहाबाद विश्वविद्यालय की पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष ऋचा सिंह ने कुलपति को ज्ञापन प्रेषित कर मांग की है कि सोशल डिस्टेंसिंग के साथ शोध कार्य पूरा कराने का प्रबंध किया जाएगा। ऋचा का कहना है कि लॉक डाउन के कारण इविवि के शोध छात्रों के प्री सब्मिशन, फाइनल सब्मिशन एवं इसके बाद की प्रक्रिया अटकी हुई है। इस संबंध में जल्द ही कोई निर्णय लिया जाए, ताकि छात्रों का भविष्य सुरक्षित हो सके। कुलपति से मांग की गई है कि ऑनलाइन प्री सब्मिशन की व्यवस्था शीघ्र की जाए और जिन शोधार्थियों ने फाइनल सब्मिशन कर दिया है, उनके लिए ऑनलाइन वाइवा आयोजित किया जाए।