लखनऊ : पंचायत चुनाव की तैयारियों में जुटा चुनाव आयोग, मतपत्रों के कागज व छपाई के टेण्डर निकाले
गांव में अपनी सरकार बनाने को शुरू हो गया जोड़तोड़, सीटों के आरक्षण पर चर्चा तेज
संतोष वाल्मीकि:राज्य मुख्यालय राज्य निर्वाचन आयोग ने भी पंचायत चुनाव की तैयारियों में जुट गया है। मंगलवार को राज्य निर्वाचन आयुक्त मनोज कुमार आयोग कार्यालय पहुंचे और अधिकारियों के साथ चुनाव की तैयारियों पर विचार विमर्श किया। इससे पूर्व 21 मई को आयोग प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनावों के लिए मतपत्रों की छपाई के लिए सफेद, हरे, गुलाबी व नीले रंग के 2350 मीट्रिक टन कागज की आपूर्ति और अनुमानित 47.5 करोड़ मतपत्रों की 4,6,9,12,18,27,36,45 और 54 चुनाव चिन्हों के साथ छपाई की आनलाइन निविदा आमंत्रित कर चुका है। यह सफेद, हरे, गुलाबी व नीले रंग के कागज पर छापी जाएगी। निविदा जमा करने की आखिरी तारीख 17 जून रखी गई है। बीती 25 मई को आपके अपने समाचार पत्र 'हिन्दुस्तान' में प्रकाशित खबर में पंचायतीराज मंत्री चौधरी भूपेन्द्र सिंह कोरोना संकट की वजह से पंचायतों का कार्यकाल बढ़ाने की सम्भावना नकार चुके हैं। मंत्री के इस बयान के बाद गांवों में इन चुनावों को लेकर सक्रियता बढ़ चली है। पंचायतीराज मंत्री के बयान के बाद दूर होते ही गांव में अपनी सरकार बनाने को जोड़तोड़ शुरू हो गई है। इसी के साथ ग्राम पंचायत से लेकर क्षेत्र व जिला पंचायतों में निकट भविष्य में नए सिरे से होने वाले सीटों के आरक्षण पर चर्चाएं भी तेज हो चली हैं। ग्राम प्रधान, पंचायत सदस्य, क्षेत्र व जिला पंचायत सदस्यों, अध्यक्षों तक को चिन्ता सताने लगी है। उधर, इस बार चुनाव लड़ने के लिए कमर कसे नए उम्मीदवारों में भी उत्सुकता बढ़ रही है कि उनकी ग्राम पंचायत, क्षेत्र व जिला पंचायत सदस्य की सीट अब किस वर्ग के लिए आरक्षित होगी। 2015 में हुए पिछले पंचायत चुनाव में हुए चक्रानुक्रम आरक्षण में कुल 59074 पंचायतों में से ग्राम प्रधान के कुल 20661 पद अनारक्षित थे। जबकि 9900 पद महिला के लिए, 10368 पद अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए, 5577 पद अन्य पिछड़ा वर्ग महिला के, 7885 पद अनुसूचित जाति, 4344 पद अनुसूचित जाति महिला, 205 पद अनुसूचित जनजाति व 134 पद अनुसूचित जनजाति महिला के लिए आरक्षित किये गये थे।