बाराबंकी : 'ऑनलाइन पढ़ाई की भी हो मॉनिटरिंग' अगर बच्चा मोबाइल ऐप से मानसिक अयोग्य हुआ तो अपराध मानकर होगी कार्रवाई, दुविधा में शिक्षक, मोबाइल के माध्यम से ऑनलाइन पढ़ रहे बच्चे, जिलाधिकारी का आदेश भी देखें।
•एनबीटी, बाराबंकीः ऑनलाइन पढ़ाई के प्रयासों पर सवाल खड़े हो गए हैं। डीएम आदर्श सिंह ने एक पत्र जारी कर कहा है कि यदि ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान कोई बच्चा मानसिक रूप से अयोग्य हो जाता है और उसको मानसिक रोग हो जाता है तो किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 75 के अंतर्गत दंडनीय अपराध माना जाएगा। ऐसे में स्कूल और शिक्षक पर कार्रवई की जाएगी।
डीएम ने पत्र में कहा कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने मोबाइल ऐप के दुष्प्रभाव से बच्चों की सुरक्षा के प्रति चिंता व्यक्त करते हुए शिक्षकों-प्रबंधकों व अभिभावकों से इसकी निगरानी करने का अनुरोध किया गया है। इस क्रम में बाराबंकी के समस्त बीईओ तथा समस्त प्रबंधकों व प्रधानाचार्य आईसीएसई, सीबीएसई, बेसिक शिक्षा से मान्यता व सहायता प्राप्त विद्यालयों को उनके विद्यालयों का नोडल अधिकारी नामित करते हुए निर्देशित किया जाता है कि ऑनलाइन कक्षाओं की पूर्ण निगरानी एवं उससे उत्पन्न होने वाले समस्याओं का निराकरण राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की एडवाइजरी के अनुरूप करते हुए उनको अवगत करवाएं। वहीं इस संबंध में प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कुमार पांडेय का कहना है कि ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर शिक्षक दुविधा में हैं, एक तरफ परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले 90 प्रतिशत बच्चों के पास स्मॉर्टफोन नहीं है। वहीं दूसरी तरफ विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाएं। इसकी लगातार समीक्षा भी हो रही है और कार्रवाई की चेतावनी दी जा रही है। बच्चों की आंखें नाजुक होती हैं, इससे ध्यान केंद्रित करके वो हर समय मोबइल देखा करेंगे। उनकी आंखों को नुकसान हो सकता है। इसलिए मैंने बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश चंद्र द्विवेदी से मांग की थी कि ऑनलाइन शिक्षा को छोटे बच्चों पर थोपा नहीं जाए। लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई। बाराबंकी में कार बाजार में व्यापार करने वाले रवि नाग का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान मैं अपनी दोनों बच्चियों को लेकर परेशान रहने लगा हूं। यह दोनों बच्चियां मोबाइल के माध्यम से पढ़ाई कर रही हैं। इनको स्कूल से ऑनलाइन एजुकेशन के नाम पर घंटों पढ़ते देखकर इनकी चिंता हो रही है।