लखनऊ : ऑनलाइन परीक्षा खर्चीली, व्यावहारिक भी नहीं’, कुलपतियों की कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में बताई दिक्कतें
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, लखनऊ लॉकडाउन से समय पर परीक्षा और परिणाम देना सभी राज्य विश्वविद्यालयों के लिए बड़ी चुनौती है लेकिन ज्यादातर विद्यार्थियों की पृष्ठभूमि ग्रामीण होने से ऑनलाइन परीक्षा कराना आसान नहीं है। यह काफी खर्चीला भी होगा। ये मानना है कुलाधिपति आनंदी बेन पटेल की ओर से गठित कुलपतियों की कमेटी का, जिसने अपनी रिपोर्ट में इसे अव्यावहारिक बताया है।दरअसल, लॉकडाउन से ऑनलाइन कोर्स पूरा कराने व ऑनलाइन परीक्षा कराके नए सत्र 2020-21 को व्यवस्थित रखने के लिए कुलाधिपति ने एकेटीयू के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई थी। इसमें लविवि, गोरखपुर विवि, कानपुर विवि, मेरठ विवि, नरेंद्र देव कृषि विवि और काशी विद्यापीठ बनारस के कुलपति शामिल थे। कमेटी ने राज्यपाल को सौंपी रिपोर्ट में कहा है कि शैक्षिक कैलेंडर की भरपाई के लिए कक्षाओं का समय बढ़ाया जाए। शनिवार, रविवार व अन्य छुट्टियों के दिन भी क्लास चले। 15 दिन में एक दिन की छुट्टी दी जाए। लॉकडाउन के पहले की हाजिरी को आधार मानकर इंटरनल मार्क्स दिए जाएं। इंटर्नशिप भी ऑनलाइन कराई जाए।
*ये सुझाव भी दिए*
कमेटी ने ऑनलाइन वार्षिक परीक्षा को ज्यादा व्यावहारिक नहीं माना है। कहा कि इसमें काफी खर्च आएगा। काफी स्टूडेंट्स ग्रामीण परिक्षेत्र से हैं। उनके लिए काफी बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत पड़ेगी। सभी विवि पहले अंतिम वर्ष के स्टूडेंट्स की और फिर अन्य की परीक्षा कराएं। परीक्षा तीन पालियों में हो। पेपर 2-2 घंटे के कराए जाएं। बहुत जरूरी हो तभी बहु विकल्पीय प्रश्नों पर आधारित परीक्षा कराएं।मूल्यांकन डिजिटल हो, इससे परिणाम जल्द आएगा। यदि ये संभव न हो तो केंद्रीय मूल्यांकन केंद्र न बनाकर विकेंद्रीकृत व्यवस्था की जाए। शोध छात्रों को लॉकडाउन की अवधि का अतिरिक्त समय दिया जाए। कमेटी ने यह भी सुझाव दिया कि इन बदलावों को लागू करने से पहले छात्र व शिक्षक संगठनों से भी चर्चा कर ली जाए।