लखनऊ : शैक्षणिक कैलेंडर का पालन होने में अभी से संशय, शिक्षक संगठनों ने इसे जल्दबाजी में उठाया गया कदम बताया
प्रमुख संवाददाता-राज्य मुख्यालय कोरोना संकट के कारण लॉक डाउन के बीच घोषित किए गए सत्र 2020-21 के शैक्षणिक कैलेंडर का पालन हो पाने से अभी से संशय के बादल मंडराने लगे हैं। शिक्षक संगठनों ने इसे जल्दबाजी में उठाया गया कदम बताया है।उनका कहना है कि शैक्षणिक कैलेंडर तैयार करने में वर्तमान समय की व्यवहारिक कठिनाइयों का ध्यान नहीं रखा गया है। हाल ही में उच्च शिक्षा विभाग ने सत्र 2020-21 के लिए विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों का शैक्षणिक कैलेंडर घोषित करते हुए कहा कि प्रथम वर्ष के छात्रों का शैक्षिक सत्र 17 अगस्त से शुरू होगा।दूसरे, तीसरे, चतुर्थ एवं पंचम सेमेस्टर के छात्रों की कक्षाएं नए सत्र में छह जुलाई से ही शुरू हो जाएंगी। शिक्षक संगठनों का कहना है कि अभी तो चालू शैक्षिक सत्र ही अधर में फंसा हुआ है। लॉक डाउन के कारण विश्वविद्यालयों की सभी परीक्षाएं अभी नहीं हो पाई हैं और उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन का कार्य भी शेष है। जिन विश्वविद्यालयों में वार्षिक परीक्षाएं होती हैं, वहां भी परीक्षाएं पूरी नहीं हो पाई हैं।सेमेस्टर प्रणाली वाले पाठ्यक्रमों का भी यही हाल है।
यूजीसी ने एक सितंबर से नया सत्र शुरू करने का दिया है सुझावलखनऊ विश्वविद्यालय संबद्ध महाविद्यालय शिक्षक संघ (लुआक्टा) के अध्यक्ष डॉ. मनोज पांडेय का कहना है कि कैलेंडर तैयार करने में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की सलाह पर भी ध्यान नहीं दिया गया। यूजीसी की सलाह ज्यादा व्यावहारिक है। उसने सभी विश्वविद्यालयों को एक अगस्त से नई प्रवेश प्रक्रिया शुरू करने और 31 अगस्त तक उसे पूरा करने का सुझाव का सुझाव दिया है। हालांकि इस पर अंतिम निर्णय सभी शैक्षणिक बोर्डों के रिजल्ट की घोषणा के आधार पर होगा। ऐसे में यूजीसी के अनुसार विश्वविद्यालय में प्रवेश लेने वाले नए छात्रों की पढ़ाई एक सितंबर से शुरू होगी।