प्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट का निर्देश, यूपी में आने वाले हर व्यक्ति की हो निगरानी
हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि उत्तर प्रदेश की सीमा में प्रवेश करने वाले हर व्यक्ति की सूची तैयार की जाए
प्रयागराज, जेएनएन। कोरोना वायरस संक्रमण के कारण लम्बे लॉकडाउन से परेशान अन्य प्रदेशों में रहने वाले प्रदेश के लोगों की प्रदेश में वापसी के मामले में अब इलाहाबाद हाई कोर्ट भी सामने आया है। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि प्रदेश की सीमा में प्रवेश करने वाले हर व्यक्ति की सूची तैयार की जाए।इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 400-400 व्यक्तियों पर स्वास्थ्य निगरानी के लिए एक-एक अधिकारी की तैनाती करने के साथ दूसरे प्रदेश व बाहर से आने वालों को 15 दिन क्वारंटाइन सेंटर में रखना अनिवार्य करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने हर जिले के अस्पतालों में जांच व इलाज की सुविधाएं उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोरोना महामारी से निपटने के लिए राज्य सरकार को कड़े निर्देश दिये हैं उनका कड़ाई से पालन करने व कार्यवाही रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है।क्वारंटाइन सेंटर की दुर्दशा की शिकायत को लेकर कायम जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर तथा न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश दिया है।इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि लाक डाउन के दौरान प्रदेश की सीमा में प्रवेश करने वाले हर व्यक्ति की सूची तैयार की जाय और इनके स्वास्थ्य की निगरानी के लिए 400 व्यक्तियों पर एक अधिकारी तैनात किया जाय, जो अपनी सूची के लोगों के फोन नंबर से उनके स्वास्थ्य की जानकारी रखे। यदि किसी को खाना नहीं मिला है तो खाना उपलब्ध कराएं।कोर्ट ने कहा है कि जो लोग हाईवे से प्राइवेट साधन या पैदल प्रदेश में आये हैं, उनका पता लगाकर निगरानी सूची में शामिल किया जाय। कोर्ट ने आम नागरिकों से भी अपील की है कि यदि उन्हेंं अपने आसपास प्रदेश के बाहर से आये व्यक्ति की जानकारी मिले तो वह शासन की ओर से जारी फोन नंबर पर इसकी सूचना तत्काल दें, ताकि उसे निगरानी सूची में शामिल किया जा सके और बीमार होने पर इलाज हो सके। कोर्ट ने कहा है कि बाहर से प्रदेश में आने वाले हर व्यक्ति को 15 दिन क्वारंटाइन सेंटर में अनिवार्य रूप से रखा जाय और सेंटर की सफाई व सैनिटाइजेशन की व्यवस्था की जाय, ताकि गंदगी से अन्य लोगों में बीमारी न फैले।कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार बाहर से आये लोगों के सुनियोजित तरीके से ठहरने की व्यवस्था करे। कोर्ट ने 18 मई को कार्यवाही रिपोर्ट पेश करने को कहा है। कोर्ट ने प्रयागराज में निर्देशों के बावजूद अस्पतालों में जांच व इलाज की सुविधाएं उपलब्ध न कराने पर नाराजगी जताई और कहा है कि अस्पतालों क्वारंटाइन सेंटर में व्याप्त गंदगी व अव्यवस्था तथा शारीरिक दूरी बनाये रखने के दिशानिर्देश का पालन न करने के फोटोग्राफ स्वयं सच्चाई बता रहे हैं।कोर्ट ने सरकार शहर के अस्पतालों व सामुदायिक केंद्रों में जरूरी सुविधाएं क्यों नहीं दे पा रही है। कोर्ट ने कहा है कि वित्तीय दिक्कत है तो केंद्र सरकार राज्य सरकार को मदद करे।कोर्ट ने कहा कि प्रयागराज के एसआरएन अस्पताल के अलावा किसी अन्य अस्पताल में आईसीसीयू नहीं है। प्राइवेट अस्पतालों को बंद कर दिया गया है और सरकारी अस्पतालों में रोजमर्रा के मरीजों का इलाज नहीं हो,रहा है। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि कब तक वह प्रयागराज के काल्विन, मोतीलाल नेहरू, टीबी और बेली अस्पतालों सहित जिले के 105 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में सुविधाएं उपलब्ध कराएगी। याचिका की सुनवाई अब 18 मई को होगी।