डीबीएस न्यूज़, गोरखपुर: गोरखपुर जनपद के बीआरसी भटहट पर बीते 12 जून को खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा 40 शिक्षकों की मीटिंग बुलाई गई थी। जबकि बीआरसी पर पहले से ही कई शिक्षक शिक्षिकाएं मानव संपदा व यू डाइस प्लस कार्य हेतु मौजूद थे।
संकुल प्रभारी गठन के उपरांत यह मीटिंग बुलाया गया था मीटिंग हुआ भी लेकिन मीटिंग जैसे ही खत्म हुआ तो यह पता चला की बीआरसी पर मौजूद एक महिला प्रधानाध्यापक के पति जोकि बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर के एक डॉक्टर है की सैंपल कोविड-19 जांच के लिए भेजी गई थी जो कि उसी शाम को पॉजिटिव निकला।
अब जब यह खबर मीटिंग में सम्मिलित सभी लोगों में सार्वजनिक हुई तो लोगों के कलेजे पर सांप रेगने लगा बीआरसी पर गए सभी को भी कोरोना का डर सताने लगा।
बात यहीं तक नहीं थीं अब उस महिला प्रधानाध्यापक का भी कोविड-19 सैंपल जांच के लिए भेजा गया जोकि 16 जून को आई रिपोर्ट में वह भी कोरोना संक्रमित पाई गई।
मतलब पति पत्नी दोनों लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं और अब 12 जून को भटहट बीआरसी पर गए सभी शिक्षकों व अन्य में डर बना हुआ है।
लोग सवाल कर रहे हैं कि खंड शिक्षा अधिकारी महोदय इतनी बड़ी चूक कैसे कर सकते हैं जब वहां बीआरसी भटहट पर पहले से ही 25- 30 शिक्षक शिक्षिकाएं मानव संपदा व यू डायस प्लस कार्य हेतु पहले से ही मौजूद थे तो वहां फिर 40 शिक्षकों को मीटिंग बुलाने की क्या औचित्य था।
इस मामले में उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ जनपद गोरखपुर ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को एक पत्रक सौंप लापरवाही की शिकायत की है। सौंपे पत्रक में प्राथमिक शिक्षक संघ ने अवगत कराया है कि इतनी बड़ी संख्या में शिक्षकों को बीआरसी पर एकत्रित करना पूरी तरह से आपत्तिजनक है। कोरोना काल और लॉकडाउन मैं भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन के नियमों की भी भारी धज्जियां उड़ाई जा रही हैं इसमें खंड शिक्षा अधिकारी की जवाबदेही तय होनी चाहिए और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाने चाहिए।
बेसिक शिक्षा अधिकारी को सौंपा पत्रक में प्राथमिक शिक्षक संघ ने यह भी मांग किया है कि बीआरसी भटहट पर अन्य लोगों की कोरोनावायरस से सुरक्षा की दृष्टि से बीआरसी को तत्काल सील करने की आवश्यकता है।