लखनऊ : फर्जी शिक्षक नियुक्तियों की जांच के लिए जिलावार कमेटी गठित, डीएम को 31 जुलाई तक भेजनी होगी रिपोर्ट
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊ |प्रदेश सरकार ने सभी राज्य विश्वविद्यालयों, राजकीय महाविद्यालयों और सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में तैनात शिक्षकों का भौतिक सत्यापन करने और शैक्षणिक अभिलेखों की जांच के लिए जिलावार कमेटी का गठन कर दिया है। सभी जिलों में जिलाधिकारी की तरफ से नामित अपर जिलाधिकारी (एडीएम) कमेटी के अध्यक्ष होंगे। स्थलीय जांच के लिए सभी जिलों में दो अलग-अलग उप समितियां भी गठित की जाएंगी। शासन ने सभी जिलाधिकारियों से 31 जुलाई तक जांच रिपोर्ट मांगी है। अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा मोनिका एस गर्ग ने शुक्रवार को इस संबंध में आदेश जारी किया। इसमें कहा गया है कि समिति यह जांच भी करेगी कि कोई शिक्षक अन्य किसी शिक्षक के स्थान / नाम पर कार्यरत तो नहीं है। डीएम द्वारा नामित एडीएम कमेटी के अध्यक्ष व पुलिस अधीक्षक द्वारा नामित अपर पुलिस अधीक्षक सदस्य होंगे, जबकि क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी सदस्य सचिव होंगे।
शासनादेश के अनुसार इस कमेटी के पर्यवेक्षण में स्थलीय जांच के लिए दो अलग-अलग उप समितियां भी गठित होंगी। राज्य विश्वविद्यालयों एवं राजकीय महाविद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों की जांच के लिए डीएम द्वारा नामित उप जिलाधिकारी (एसडीएम) की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया है। डीएम द्वारा नामित जिले के राजकीय महाविद्यालय का एक वरिष्ठ प्रवक्ता व संबंधित राज्य विश्वविद्यालय के वित्त अधिकारी इस कमेटी के सदस्य होंगे।इसी तरह सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों की जांच के लिए डीएम द्वारा नामित एसडीएम की अध्यक्षता में कमेटी होगी। जिले के राजकीय महाविद्यालय के वरिष्ठतम प्राचार्य और डीएम द्वारा नामित जिले के राजकीय महाविद्यालय के एक वरिष्ठ प्रवक्ता कमेटी के सदस्य होंगे।जिलाधिकारी को यह अधिकार दिया गया है कि वह जरूरत के अनुसार उप समितियों में अन्य सदस्य भी नामित किए जा सकेंगे।जांच कमेटी कोषागार से रिपोर्ट प्राप्त करके यह भी देखेगी कि जिन अध्यापकों को वेतन मिल रहा है वे वास्तव में चयनित हुए थे या नहीं। दिव्यांगजन, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा अन्य आरक्षित वर्ग के सभी प्रमाणपत्रों का पुन: परीक्षण कराकर सत्यापन भी कराया जाएगा। अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा ने सभी जिलाधिकारियों को हर हफ्ते जांच कार्यों की समीक्षा करने और 31 जुलाई तक पूरी जांच रिपोर्ट शासन को भेजने का निर्देश दिया है।