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प्रयागराज : 68500 शिक्षक भर्ती, निलंबन के बाद कोर्ट में साक्ष्य नहीं देने पर आरोपियों की हुई बहाली

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प्रयागराज : 68500 शिक्षक भर्ती, निलंबन के बाद कोर्ट में साक्ष्य नहीं देने पर आरोपियों की हुई बहाली

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, प्रयागराज शिक्षामित्रों का प्राथमिक विद्यालयों से सहायक अध्यापक के रूप में समायोजन निरस्त करने के बाद हुई लगातार दूसरी शिक्षक भर्ती विवादों की भेंट चढ़ गई। पहले 68500 शिक्षक भर्ती में मूल्यांकन की गड़बड़ी, फेल को पास ओर पास को फेल करने के विवाद के चलते खूब चर्चा में रही।इसके बाद 2019 में घोषित 69000 शिक्षक भर्ती भी कटऑफ, नकल के आरोप और गलत प्रश्न पूछे जाने के चलते विवाद में रही। परीक्षार्थी लगातार कोर्ट का दरवाजा खटखटा रहे हैं, कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद भी उन्हें न्याय मिलना बाकी है। इस भर्ती में गड़बड़ी के आरोपी अधिकारी पहले तो निलंबित किए गए। 

बाद में सरकार की ओर से इनके खिलाफ कोई आरोप प्रस्तुत नहीं करने के चलते बहाल करके महत्वपूर्ण पदों पर तैनाती दे दी गई।68500 सहायक अध्यापक भर्ती में सीट से कम लगभग 41 हजार परीक्षार्थी सफल हुए थे। इस भर्ती परीक्षा में मूल्यांकन की गड़बड़ी और प्रश्नपत्र अच्छा होने, उसके अनुपात में नंबर नहीं मिलने से नाराज अभ्यर्थी जब कोर्ट तक पहुंचे गए।कोर्ट में उनकी कॉपी मंगाई गई तो मूल्यांकन में गड़बड़ी और फेल को पास और पास को फेल किए जाने की बात सामने आई। हाईकोर्ट में कॉपी मंगाए जाने के बाद जब परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय की गलती सामने आई तो शासन ने अपनी किरकिरी बचाने के लिए विभागीय जांच के बाद तत्कालीन सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी डॉ. सुत्ता सिंह, रजिस्ट्रार जीवेंद्र सिंह ऐरी, डिप्टी रजिस्ट्रार प्रेमचंद्र कुशवाहा को निलंबित कर दिया।कोर्ट में मामला खुलने के बाद शासन की ओर से चीनी उद्योग व गन्ना विकास विभाग के प्रमुख सचिव संजय भुसरेड्डी की अध्यक्षता में बनी तीन सदस्यीय कमेटी की जांच के आधार पर ये कार्रवाई की गई। इससे पहले विभागीय जांच में भी सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय पर परीक्षा में लापरवाही के गंभीर आरोप लगे थे।शासन की ओर से मूल्यांकन में गड़बड़ी और फेल को पास और पास को फेल करने के आरोप में निलंबित तत्कालीन सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी डॉ. सुत्ता सिंह, रजिस्ट्रार जीवेंद्र सिंह ऐरी, डिप्टी रजिस्ट्रार प्रेमचंद्र कुशवाहा के खिलाफ निलंबन के कई महीने बाद भी आरोप प्रस्तुत नहीं करने पर उन्हें बहाल कर दिया गया।कोर्ट के आदेश के बाद इन अधिकारियों की विभाग में अच्छे पदों पर बहाली हो गई।तत्कालीन सचिव डॉ. सुत्ता सिंह इस समय अपर निदेशक बेसिक शिविर कार्यालय के रूप में तैनात हैं। इस भर्ती में सीबीआई जांच शुरू होने फिर रोके जानढे और उसके बाद सीबीआई जांच रोके जाने के खिलाफ परीक्षार्थियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने के बाद इस मामले में जांच कहां है, इस बारे में परीक्षार्थियों को कुछ भी पता नहीं है। मूल्यांकन की गड़बड़ी के शिकारपरीक्षार्थियों की ओर से इस मामले में शिथिलता बरते जाने के बाद वह दोबारा कोर्ट जाने की तैयारी में हैं।

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