प्रयागराज।इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इविवि) में स्थायी कुलपति की नियुक्ति का रास्ता साफ होता नजर आ रहा है। चर्चा है कि केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सर्च कमेटी के सदस्य प्रो. सीएल खेत्रपाल और प्रो. गौतम सेन के नाम पर अंतिम मुहर लगा दी है। साथ ही कमेटी के लिए विजिटर नॉमिनी को भी चुन लिया है। सर्च कमेटी के एक सदस्य ने इसकी पुष्टि की है लेकिन, इस मामले में कोई भी अफसर आधिकारिक रूप से बोलने को तैयार नहीं है।इविवि कार्यपरिषद की छह मार्च को हुई बैठक में इविवि के पूर्व कुलपति प्रो. सीएल खेत्रपाल और नेशनल सेंटर फॉर इंटरनेशनल सिक्योरिटी एंड डिफेंस एनालिसस, पुणे के पूर्व निदेशक प्रो. गौतम सेन को सर्च कमेटी का सदस्य मनोनीत किया गया था, जिसके बाद इविवि प्रशासन ने दोनों नाम मंत्रालय को भेज दिए थे। इसी बीच ऑटा अध्यक्ष प्रो. रामसेवक दुबे ने प्रो. सीएल खेत्रपाल के नाम पर आपत्ति दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि प्रो. खेत्रपाल को नियम विरुद्ध सर्च कमेटी का सदस्य मनोनीत किया गया है। उन्होंने मंत्रालय में भी शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके बाद मंत्रालय की ओर से पत्र जारी कर कहा गया था कि जल्द ही कार्य परिषद की बैठक बुलाकर प्रो. खेत्रपाल की जगह किसी अन्य व्यक्ति को सर्च कमेटी का सदस्य मनोनीत किया जाए। हालांकि इविवि प्रशासन इसके लिए तैयार नहीं हुआ और मंत्रालय को पत्र भेजकर जानकारी दी गई कि सर्च कमेटी के दोनों सदस्यों का चयन नियमों के तहत किया गया है। इसके बाद देश में लॉक डाउन घोषित हो जाने से स्थायी कुलपति की नियुक्ति प्रक्रिया खटाई में पड़ गई। इविवि में चर्चा है कि मंत्रालय ने प्रो. खेत्रपाल और प्रो. गौतम सेन के नाम पर अंतिम मुहर लगा दी है। साथ ही मंत्रालय ने इस बारे में सदस्यों को पत्र भेजकर अवगत करा दिया है। एक सदस्य ने मंत्रालय से पत्र मिलने की पुष्टि की है। चर्चा यह भी है कि यूजीसी के चेयरमैन प्रो. डीपी सिंह को विजिटर नॉमिनी के रूप में कमेटी में शामिल किया गया है, जो कमेटी के कन्वीनर होंगे। सर्च कमेटी के गठन के साथ यह चर्चा भी शुरू हो गई है कि इविवि को जल्द ही एक स्थायी कुलपति मिल जाएगा। फिलहाल सर्च कमेटी के गठन की आधिकारिक रूप से पुष्टि नहीं हुई है। इविवि के कुलपति प्रो. आरआर तिवारी का कहना है कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।इविवि में वर्ष 1998 से 2001 तक कुलपति रहे प्रो. सीएल खेत्रपाल इविवि कार्य परिषद के सदस्य भी रह चुके हैं। उन्होंने पूर्व कुलपति प्रो. आरएल हांगलू पर मनमानी का आरोप लगाते हुए जून-2018 में सदस्य पद से इस्तीफा दे दिया था।
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