गोण्डा : फर्जी टीचर केस में आईबी और एसटीएफ सहित पांच जांच एजेंसियों ने शुरू की अनामिका शुक्ला मामले की पड़ताल
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊ गोंडा अनामिका शुक्ला के नाम पर यूपी के अलग-अलग जिलों में नौकरी करने के मामले में पांच जांच एजेंसियों ने अपनी पड़ताल शुरू कर दी है। आईबी, एसटीएफ, विजिलेंस, एसआईटी, शासन की टीम और स्थानीय पुलिस ने अपने-अपने स्तर से इस मामले की जांच शुरू कर दी है। सबसे पहले एसटीएफ की टीम गोंडा पहुंची थी। दूसरे दिन आईबी ने तथ्य जुटाए। वहीं विभागीय विजिलेंस व एसआईटी ने भी बीएसए डॉ. इन्द्रजीत प्रजापति से गुरूवार को सम्पर्क किया। यह टीमें भी जिले में आकर प्रकरण की जांच करेंगी और जुड़े तथ्य जुटाएंगी। जांच अफसर इस प्रकरण में गोण्डा कनेक्शन की तलाश कर रहे हैं।जिस अनामिका शुक्ला के शैक्षिक अभिलेखों के आधार पर 9 जिलों में अलग-अलग लड़कियों ने तैनाती ली थी या फिर तैनाती लेने की कोशिश की थी, उस असली अनामिका ने किसी भी कस्तूरबा विद्यालय में न तो कभी नौकरी की और न ही वर्तमान में कहीं कर रही है। यह दावा असली अनामिका शुक्ला ने मंगलवार को बीएसए द़फ्तर पहुंचकर किया था। बीएसए दफ्तर पर उसके पहुंचने के बाद सूबे के कई जिलों में चल रही जांचों के जांच अधिकारियों की निगाहें जिले की ओर उठ गईं हैं। अब तक एसटीएफ, आईबी, विजिलेंस, एसआईटी के अलावा नगर पुलिस प्रकरण की बारीकी से जांच करेगी। इसके अलावा विभागीय जांच भी बीएसए कराएंगे।
कई अनसुलझे सवालों के जवाब तलाश रही हैं जांच एजेंसियां :
कई अनसुलझे सवालों के जवाब जांच एजेंसियां तलाश रही हैं। उनके सवालों के केंद्र में गोण्डा की लड़की के शैक्षिक अभिलेख का दुरूपयोग कब और कहां से शुरू हुआ। जांच अफसरों को शक है जहां से कॉकस की नजर अनामिका शुक्ला के हाई मेरिट शैक्षिक प्रमाण पत्रों पर पड़ी वहीं पर ये कॉकस मौजूद मिलेगा।हॉलाकि असली अनामिका ने पहले ही साफ कर दिया है कि उसने गोण्डा जिले के कस्तूरबा विद्यालय में नौकरी करने के लिए आवेदन ही नहीं किया था।
जांच के दिए आदेश :
अभी तक गोण्डा में असली अनामिका शुक्ला के सामने आने के बाद स्थानीय पुलिस एसटीएफ की मदद ले रही थी लेकिन लिखित तौर पर जांच एसटीएफ को गुरुवार को सौंपी गई। इस मामले में कासगंज से फर्जी शिक्षिका और उसके बयान के बाद मास्टर माइंड को पकड़ा जा चुका है। अभी तक बाकी जगहों पर बेसिक शिक्षा अधिकारी जांच करवा रहे हैं तो फर्जी शिक्षिकाओं के फोन बंद आ रहे हैं और ज्यादातर के पते भी गलत निकले हैं। हालांकि एफआईआर हो चुकी है। दूसरी तरफ, केजीबीवी में प्रमाणपत्रों की जांच को लेकर भी शिक्षकों में भ्रम बना रहा। उन्हें लग रहा है कि उनके मूल प्रमाणपत्र विभाग जमा कर लेगा। अनामिका प्रकरण के बाद अब शिक्षक अपने मूल प्रमाणपत्र विभाग में जमा करने बच रहे हैं। अनामिका शुक्ला प्रकरण में दूसरे के दस्तावेजों पर शिक्षिकाओं ने नियुक्ति प्राप्त की है। फर्जी तौर पर नियुक्ति लेने वाले कई तरीके से फर्जीवाड़ा करते हैं लेकिन ज्यादातर मामलों में विभागीय गठजोड़ के चलते फाइलें गायब हो जाती हैं। समय-समय पर विभिन्न मामलों में फर्जी शिक्षकों की पकड़ होती आई है।