कासगंज : फर्जीवाड़े में विभागीय जांच में बालिका शिक्षा के तत्कालीन डीसी दोषी, सौंपी रिपोर्ट, तीन सदस्यीय जांच कमेटी ने कहा आवेदन पर फोटो का मिलान ठीक से नहीं हुआ, दस्तावेज भी सही नहीं
अनामिका शुक्ला प्रकरण के फर्जीवाड़े की जांच से मामले में नया मोड़ आया है। इस पूरे प्रकरण में बालिका शिक्षा के तत्कालीन डीसी (जिला समन्वयक) प्रथम दृष्टया पूरी तरह लापरवाह पाए गए हैं। उन्हें दोषी मानते हुए तीन सदस्यीय जांच कमेटी ने रिपोर्ट बीएसए को सौंप दी है। बीएसए अब राज्य परियोजना कार्यालय और जिलाधिकारी को जांच आख्या सहित पत्रावली भेजेंगी।
फर्जीवाड़े के दायरे में आई सुप्रिया जेल में है। मास्टरमाइंड पुष्पेंद्र उर्फ राज से पूछताछ की तैयारी हो रही है। इस बीच बेसिक शिक्षा विभाग ने विभागीय जांच पूरी की है। बीएसए ने इस पूरे प्रकरण की जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम बनाई। जिसमें कासगंज के खंड शिक्षाधिकारी राजेंद्र सिंह बोरा, गंजडुंडवारा के खंडशिक्षाधिकारी श्रीकांत पटेल और बालिका शिक्षा के मौजूदा डीसी गौरव सक्सेना को शामिल किया गया।
तीन सदस्यीय जांच टीम ने बिंदुवार जांच की। इसमें प्रथम दृष्टया बालिका शिक्षा के तत्कालीन डीसी जीएस राजपूत को दोषी पाया गया है। जांच कमेटी ने रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि तत्कालीन डीसी ने आवेदन पर फोटो का मिलान ठीक से नहीं किया और उसके मूल दस्तावेजों के अलावा पहचानपत्रों की सही से जांच नहीं की।
इसी लापरवाही के कारण इस फर्जीवाड़े को जन्म मिला। बीएसए ने इस जांच आख्या का अवलोकन करने के बाद पत्रावली तैयार की है। नोटशीट सहित पूरी पत्रावली अब राज्य परियोजना कार्यालय और जिलाधिकारी कार्यालय भेजी जा रही है।
मिल चुकी है रिपोर्ट
तीन सदस्यीय टीम ने इस फर्जीवाड़े के प्रकरण की रिपोर्ट सौंप दी है। प्रथम दृष्टया बालिका शिक्षा के तत्कालीन डीसी दोषी पाए गए हैं। फाइल परियोजना कार्यालय भेजी जा रही है- अंजली अग्रवाल, बीएसए।
जितना काम दिया, मैंने किया
शिक्षिका की नियुक्ति को लेकर जांच कमेटी ने निर्णय लिया। मेरा कहीं कोई हस्तक्षेप नहीं था। सत्यापन भी मैंने नहीं कराए। जितना भी काम अधिकारियों ने दिया, मैंने किया। -जीएस राजपूत , तत्कालीन डीसी, बालिका शिक्षा