प्रयागराज। पीसीएस-2018 की मुख्य परीक्षा से असंतुष्ट अभ्यर्थियों ने उतर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) के कई निर्णयों पर सवाल उठाए हैं। अभ्यर्थियों का आरोप है कि आयोग लगातार छात्र विरोधी फैसले कर रहा है। इस मसले पर प्रतियोगी छात्रों ने शुक्रवार को बैठक की और इसके बाद मुख्य मंत्री एवं सचिव कार्मिक को पत्र भेजकर जांच की मांग की।अभ्यर्थियों ने पत्र के साथ पीसीएस-2017 एवं पीसीएस-2018 का विज्ञापन, प्रवेश पत्र एवं अंक पत्र भी संलग्न किया है।अभ्यर्थियों का आरोप है कि आयोग ने अचानक पीसीएस-2019 की परीक्षा के तहत प्री में पदों की संख्या के मुकाबले 18 की जगह 13 गुना अभ्यर्थियों और मुख्य परीक्षा में तीन की जगह दोगुने अभ्यर्थियों को उत्तीर्ण करने का निर्णय ले लिया। साथ ही मुख्य परीक्षा से रक्षा अध्ययन एवं समाज कार्य जैसे विषय हटा दिए। प्रतियोगी छात्रों का सवाल है कि अब इन विषयों के अभ्यर्थी कहां जाएंगे? अभ्यर्थियों का आरोप है कि आयोग बिना किसी पूर्व सूचना के परीक्षा पैटर्न में निरंतर बदलाव करता रहा। संघ लोक सेवा आयोग इस तरह के बदलावों पर अभ्यर्थियों को अतिरिक्त अवसर प्रदान करता है लेकिन यूपीपीएससी ने ऐसा नहीं किया। इसके अलावा आयोग ने पीसीएस-2019 की संशोधित उत्तरकुंजी भी जारी करने में गड़बड़ी की। पहले तो बिना संशोधन के अंतिम उत्तरकुंजी जारी कर दी और इसके बाद गलती सामने संशोधन के साथ दोबारा अंतिम उत्तरकुंजी जारी की। सिर्फ यही नहीं, पीसीएस-2017 की मार्कशीट में आयोग ने वास्तविक अंक भी छिपा लिए। अभ्यर्थियों का कहना है कि आयोग ने गोपनीयता के नाम पर पारदर्शिता को ही समाप्त कर दी। अभ्यर्थी अब आरोप लगा रहे हैं कि पीसीएस-2018 की मुख्य परीक्षा में स्केलिंग को हटा दिया गया और एक ही विषय के विशेषज्ञ से हिंदी एवं अंग्रेजी माध्यम की कॉपियों का मूल्यांकन करा दिया गया, जिससे बड़ी संख्या में मानविकी के अभ्यर्थी मुख्य परीक्षा में असफल हो गए। शुक्रवार को मम्फोर्डगंज में हुई भ्रष्टाचार मुक्ति मोर्चा की बैठक में मोर्चा अध्यक्ष कौशल सिंह ने आरोप लगाया कि आयोग ने गोपनीयता की आड़ में कई मनमाने निर्णय लि हैं। अभ्यर्थियों ने फैक्स, मेल एवं स्पीड पोस्ट के माध्यम से मुख्यमंत्री और सचिव कार्मिक को शिकायत भेजकर इन सभी मामलों की जांच कराए जाने की मांग की है।
‘छात्रों की मांग पर ही संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा की तर्ज पर पीसीएस में नया पाठ्यक्रम लागू किया गया। पीसीएस-2018 पहली ऐसी परीक्षा है, जो नए पाठ्यक्रम के अनुरूप आयोजित की गई। ऐसे में परिणाम पर असर पडना स्वाभिक है। छात्रों को विरोध करने के बजाय नए पैटर्न के आधार पर खुद को ढाल लेना चाहिए। इससे उन्हीं को फायदा होगा।’ जगदीश, सचिव, यूपीपीएससी