प्रयागराज।केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने लॉकडाउन के कारण शिक्षण संस्थानों की रैंक निर्धारण की प्रक्रिया को इस बार स्थगित कर दिया है। मंत्रालय इसे हर साल अप्रैल के पहले सप्ताह में नेशनल इंस्टीट्यूट फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) के नाम से जारी करता है। पिछली बार इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इविवि) टॉप 200 शिक्षण संस्थानों की सूची में भी जगह नहीं बना सका था लेकिन इस बार टॉप 100 में आने के संकेत मिल रहे हैं।एनआईआरएफ रैंकिंग जारी होने से पहले निजी एजेंसियां भी रैंकिंग जारी करती हैं, जिसमें इविवि को इस बार 42वां स्थान मिला है।हालांकि इविवि प्रशासन को एनआईआरएफ रैंकिंग जारी होने का इंतजार है, क्योंकि तमाम अनुदान इसी रैंकिंग के आधार पर मिलते हैं और पिछले कुछ वर्षों में एनआईआरएफ रैंकिंग में इविवि का ग्राफ लगातार तेजी से गिरा है। लॉक डाउन के कारण स्थगित हुई एनआईआरएफ रैंकिंग इस बार जून के अंत या जुलाई की शुरुआत में जारी की जा सकती है। मंत्रालय की ओर से एनआईआरएफ रैंकिंग की व्यवस्था 2016 से लागू की गई थी। इससे पहले निजी एजेंसियां ही रैंक जारी करती थीं। 2016 की एनआईआरएफ रैंकिंग में इविवि को 68वां स्थान मिला था जबकि 2017 में विश्वविद्यालय को 95वीं रैंक हासिल हुई थी। 2018 में स्थित काफी खराब हो गई और इविवि को टॉप-100 शिक्षण संस्थानों की सूची से बाहर कर दिया गया है। इसमें इलाहाबाद विश्वविद्यालय को 144वीं रैंक मिली थी। पिछली बार यानी वर्ष 2019 में जारी हुई एनआईआरएफ रैंकिंग में इविवि को तगड़ा झटका लगा विश्वविद्यालय टॉप-200 शिक्षण संस्थानों की सूची में भी जगह नहीं बना सका। हर साल एनआईआरएफ रैंकिंग से पहले निजी एजेंसियों भी रैंकिंग जारी करती है। एजेंसियों भी उन्हीं मानकों को आधार बनाकर रैंक तय करती हैं, जिन मानकों पर एनआईआरएफ की रैंकिंग निर्धारित की जाती है। ऐसे में निजी एजेंसियों और एनआईआरएफ की रैंकिंग में पांच से दस फीसदी का ही अंतर होता है। निजी एजेंसी एजूकेशन वर्ल्ड की ओर से जारी रैंकिंग में इविवि को देश में 42वां और उत्तर प्रदेश में पांचवां स्थान मिला है। ऐसे में संकेत मिल रहे हैं कि इस बार एनआईआरएफ रैंकिंग में इविवि को देश के टॉप-100 शिक्षण संस्थानों में जगह मिल सकती है।
‘विश्वविद्यालय की तरक्की के लिए सबका सहयोग अपेक्षित है। विश्वविद्यालय छात्रों का है और विश्वविद्यालय को आगे ले जाने में छात्रों का सहयोग सबसे महत्वपूर्ण है। विश्वविद्यालय में अब संवादहीनता नहीं रह गई है। एक सिस्टम के तहत काम हो रहा है। इविवि प्रशासन का पूरा प्रयास होगा कि सभी के साथ मिलकर विश्वविद्यालय को बुलंदियों पर पहुंचाया जा सके और संस्थान की पुरानी पहचान वापस लाई जा सके।’
- प्रो. आरआर तिवारी, कुलपति, इविवि