सहारनपुर : फर्जी 'अनामिका' के शैक्षिक प्रमाण पत्रों की नहीं हुई थी जांच
हिन्दुस्तान टीम,सहारनपुर यूपी के बहुचर्चित शिक्षिका अनामिका शुक्ला फर्जीवाड़े केस में अब तक की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। सहारनपुर जिले में डिस्ट्रिक कोऑडिर्नेटर और स्कूल की वार्डन ने नोटिस का जवाब दिया तो झूठ का पता चला। वहां असली अनामिका शुक्ला के नाम पर फर्जी शैक्षिक प्रमाण पत्रों के सहारे नौकरी की जा रही थी। जानकारी के मुताबिक मुजफ्फराबाद के कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में शिक्षिका अनामिका शुक्ला ने अगस्त 2019 में नियुक्ति पाई।अनामिका शुक्ला ने छह महीने तक पूर्णकालिक के पद पर रहकर 1.17 लाख रुपये का मानदेय पाया। इस फर्जीवाड़े पर किसी की नजर नहीं पड़ी। शासन से जांच आई तो शिक्षा विभाग में खलबली मच गई। जांच करने पर अनामिका शुक्ला के अभिलेख फर्जी मिले। उनमें जो पता और नाम दिया गया था, वह सही नहीं था। अधिकारी इस मामले की तह तक गए तो एक के बाद एक मामले निकलते चले गए। पुराने मामलों को भी जोड़कर देखा गया। सात जून को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने जिला समन्वयक बालिका शिक्षा और विद्यालय वार्डन को नोटिस दिया। नोटिस का जवाब देने के लिए तीन दिन का समय दिया गया। बुधवार को नोटिस देने के तीन दिन पूरे हो गए। बालिका शिक्षा के कोऑडिनेटर और विद्यालय वार्डन ने नोटिस का जवाब दिया। जिसमें दोनों दोषी पाए गए। अब विभाग ने नोटिस का जवाब मिलने पर रिपोर्ट तैयार करने में जुट गया है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि शिक्षिका अनामिका शुक्ला के नियुक्ति फर्जीवाड़े में दोनों पर निलंबित होने की कार्रवाई हो सकती है। क्योंकि लापरवाही साफ तौर पर दिखाई दे रही है। न तो शिक्षका के प्रमाण पत्रों का सत्यापन कराया गया और न ही उसके पते का वेरीफिकेशन हुआ। जबकि अब तक जांच में शिक्षिका ने अवध यूनिविर्सटी के जो प्रमाण पत्र लगाए थे वह सब फजीर् साबित हुए हैं। मैनपुरी के गांव हसनपुर जहां का पता दिया था, वहां पर अनामिका शुक्ला नाम की कोई युवती और उसका परिवार नहीं रहता है।रमेंद्र कुमार सिंह, बीएसए ने बताया कि बालिका शिक्षा के डिस्ट्रक कोऑर्डिनेटर और वार्डन ने नोटिस का जवाब दे दिया है। प्रथम दृष्टया दोनों का दोषी परलक्षित हो रहा है। रिपोर्ट के आधार पर कोडिर्नेटर व वार्डन के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई होगी।