लखनऊ : उच्च शिक्षा संस्थानों में भी शिक्षकों के अभिलेखों की जांच होगी
आदेश जारी करने की तैयारी में है विभाग
प्रमुख संवाददाता-राज्य मुख्यालय बेसिक शिक्षा में फर्जी शैक्षिक अभिलेखों पर शिक्षकों की नियुक्ति का मामला सामने आने के बाद उच्च शिक्षा विभाग भी सतर्क हो गया है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर उच्च शिक्षा संस्थानों में नियुक्त शिक्षकों के भी शैक्षिक अभिलेखों की जांच कराने की तैयारी चल रही है। इस संबंध में जल्द ही आदेश जारी होने की संभावना है। उच्च शिक्षा विभाग के अधीन प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों के अलावा सभी राजकीय महाविद्यालय और सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालय आते हैं। इन तीनों संस्थानों में राज्य सरकार की मदद से वेतन भुगतान किया जाता है। इस कारण जांच में इन तीन श्रेणी के संस्थानों को शामिल करने पर विचार चल रहा है। सूत्रों के अनुसार शासन स्तर पर अभी जांच टीम के गठन पर विचार चल रहा है। अभी यह तय नहीं हो पाया है कि जांच के लिए विश्वविद्यालय स्तर पर टीम गठित की जाए या क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों के स्तर पर। संभव है कि विश्वविद्यालयों के शिक्षकों के लिए विश्वविद्यालय स्तर पर और राजकीय व सहायता प्राप्त महाविद्यालयों के शिक्षकों के लिए क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी के स्तर पर जांच टीम का गठन किया जाए। स्ववित्तपोषित महाविद्यालयों लिए बन रहा पोर्टलशासन ने राज्य विश्वविद्यालयों व सहायता प्राप्त महाविद्यालयों के स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों में पढ़ा रहे शिक्षकों तथा स्ववित्तपोषित महाविद्यालयों में पढ़ाने वाले सभी शिक्षकों के लिए अलग पोर्टल बनाने का आदेश दिया है। इस पोर्टल पर स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों व महाविद्यालयों के शिक्षकों के अलावा कर्मचारियों का भी ब्योरा होगा। इसी पोर्टल से सभी राज्य विश्वविद्यालय स्ववित्तपोषित महाविद्यालयों पर निगरानी रखेंगे। यह प्रावधान भी किया गया है कि शिक्षकों व कर्मचारियों को सेवा से हटाने के लिए कुलपति से अनुमोदन लेना होगा। यह कवायद इसलिए चल रही ताकि शिक्षकों की नियुक्तियों में होने वाला ‘खेल रोका जा सके।