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प्रयागराज : मॉडरेशन और ग्रेस मार्क्स से खिले सबके चेहरे

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प्रयागराज : मॉडरेशन और ग्रेस मार्क्स से खिले सबके चेहरे

हिन्दुस्तान टीम,प्रयागराज | यूपी बोर्ड के मॉडरेशन और ग्रेस मार्क्स के फार्मूले ने लाखों छात्र-छात्राओं के चेहरे पर इस साल फिर मुस्कान बिखेर दी। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के प्रमुख विषयों में 5 से 8 नंबर तक मुफ्त में बांटे गए जिसका नतीजा परिणाम पर भी देखने को मिला। मॉडरेशन का ही नतीजा रहा कि परीक्षा में सख्ती के बावजूद रिजल्ट शानदार रहा। हाईस्कूल और इंटर में क्रमश: 20 व 18 नंबर तक ग्रेस मार्क्स की नीति ने भी बड़ी संख्या में परीक्षार्थियों की नाव पार लगाई।इंटर में 74.63 प्रतिशत जबकि हाईस्कूल में 83.31 फीसदी परीक्षार्थी पास हुए। पिछले साल इंटर में 70.06 प्रतिशत और हाईस्कूल में 80.07 फीसदी परीक्षार्थी पास हुए थे। जानकारों की मानें तो मॉडरेशन नहीं लागू करते तो इतना अच्छा परिणाम नहीं होता। परीक्षा के दौरान जिस तरह की सख्ती बरती गई थी और मूल्यांकन के समय जो रिपोर्ट मिल रही थी उसके मुताबिक परिणाम काफी खराब होने की आशंका जताई जा रही थी।सख्ती के कारण ही हाईस्कूल के 251824 और इंटर के 101860 कुल 353684 परीक्षार्थियों ने परीक्षा बीच में ही छोड़ दी थी। 10वीं-12वीं का परिणाम तैयार करने की प्रक्रिया जब अंतिम दौर में थी तो बड़ी संख्या में परीक्षार्थी फेल हो रहे थे। इसे देखते हुए पिछले सालों की तरह मॉडरेशन करने का निर्णय लिया गया।हाईस्कूल के प्रमुख विषयों, हिन्दी, अंग्रेजी, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान व गणित और इंटर के मुख्य विषयों जैसे हिन्दी, अंग्रेजी, भौतिक, रसायन, जीव विज्ञान व गणित आदि विषयों में सभी छात्रों के 5 से 8 नंबर तक बढ़ा दिए गए ताकि खराब परिणाम के कारण बोर्ड की बदनामी न होने पाये। पिछले साल भी मॉडरेशन की व्यवस्था लागू थी।

क्या है मॉडरेशन, छात्रों को क्या लाभ

मॉडरेशन में 10वीं-12वीं की परीक्षा कराने वाले बोर्ड सभी बच्चों को विषय विशेष में अतिरिक्त नंबर देते हैं। उदाहरण के लिए मान लीजिए 12वीं साइंस के छात्रों ने गणित, भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, हिन्दी और अंग्रेजी की परीक्षा दी। चार विषयों में तो सभी बच्चों को बहुत अच्छे नंबर मिले लेकिन अधिकतर छात्रों को अंग्रेजी में औसत से भी कम अंक मिले तो बोर्ड के जिम्मेदार लोग एक फार्मूला को आधार मानते हुए उस विषय में सभी छात्रों को अतिरिक्त नंबर देते हैं।

यूपी बोर्ड ने 2011 में शुरू की थी मॉडरेशन नीति

सीबीएसई और सीआईएससीई बोर्ड के छात्र-छात्राओं की तुलना में यूपी बोर्ड के बच्चों का नंबर 10वीं-12वीं की परीक्षा में कम होने के कारण बसपा सरकार में माध्यमिक शिक्षा मंत्री रहे रंगनाथ मिश्र ने 2011 में मॉडरेशन नीति लागू की थी।

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