लखनऊ : कस्तूरबा विद्यालय के बाद अब बेसिक शिक्षकों पर भी है पैनी नजर
सत्यापन के बिना ही जारी हुआ वेतन : नियम यही है कि सरकारी कर्मचारी को वेतन तभी मिलता है जब उसके प्रमाणपत्र सत्यापित होते हैं लेकिन ऐसा हुआ नहीं। इस दौरान लगभग पौने दो लाख शिक्षकों की भर्ती हुई। चूंकि 2014 से शिक्षामित्रों का समायोजन भी शुरू हो गया था लिहाजा सत्यापन में बहुत समय लग रहा था। शिक्षामित्रों के दबाव में दो प्रमाणपत्रों के सत्यापन के बाद वेतन जारी करने के आदेश हुए। इनमें हाईस्कूल व इंटरमीडिएट के प्रमाणपत्रों का सत्यापन करवाया गया। हालांकि आदेश में साफ था कि बाकी प्रमाणपत्रों का सत्यापन भी करवाया जाए लेकिन इसमें ढिलाई बरती गई।
12460 शिक्षक भर्ती में पकड़ी गई थी गड़बड़ी: 2018 में मथुरा में 12,460 शिक्षक भर्ती में एसटीएफ की जांच में फर्जी नियुक्तियों का खुलासा हुआ। इसके बाद कई जगह से शिकायतें आईं। लिहाजा विभाग ने सभी जिलों की शिक्षक भर्ती की जांच का फैसला किया था। जून 2018 में जिलों में अपर जिला मजिस्ट्रेट, अपर पुलिस अधीक्षक व सहायक मण्डलीय शिक्षा निदेशक-बेसिक की तीन सदस्यीय कमेटी बनी। जांच के बिन्दु भी शासन से तय हुए लेकिन ये पूरी नहीं हुई।
लखनऊ में दस्तावेजों का 15 जून सत्यापन होगा: लखनऊ शहर के कस्तूरबा विद्यालय में ‘अनामिका' की जांच के लिए बेसिक शिक्षा विभाग ने टीम बनाई है। यह कस्तूरबा विद्यालयों की शिक्षिकाओं के दस्तावेजों की जांच करेगी। 15 से 18 जून तक दस्तावेजों के सत्यापन का काम किया जाएगा।