प्रयागराज : एनसीईआरटी पैटर्न से हिंदी में फेल होने वालों की संख्या बढ़ी
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, प्रयागराज यूपी बोर्ड की हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट की हिंदी की परीक्षा में सात लाख 97 हजार 826 परीक्षार्थियों के फेल होने के बाद एनसीआरईटी पैटर्न पर सवाल उठने लगे हैं। हिंदी में नंबर कम आने से विद्यार्थियों के संपूर्ण प्राप्तांक का प्रतिशत भी गिरा है। इसके पीछे नए पैटर्न में हिंदी के लिए एक प्रश्न पत्र बड़ी वजह माना रहा है। शिक्षकाें का मानना है कि पहले तीन प्रश्नपत्रों होते थे।जिससे किसी में अगर परीक्षार्थी को कम अंक भी मिले तो दूसरे में इसकी भरपाई हो जाती थी। अब तो एक ही प्रश्न पत्र है, जिसमें गणित की तर्ज अंक दिए जाते हैं। यही परीक्षार्थियों के फेल होने का बड़ा कारण है। इलाहाबाद इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य एसपी तिवारी का कहना है कि हिंदी को लेकर विज्ञान वर्ग के अधिकांश विद्यार्थी गंभीर नहीं रहते थे, इसके बावजूद पहले हाईस्कूल एवं इंटर दोनों में हिंदी में तीन प्रश्नपत्र होने के चलते परीक्षार्थी तीनों अलग-अलग प्रश्नपत्रों में पासिंग मार्क लेकर उत्तीर्ण हो जाते थे। अब एनसीईआरटी पैटर्न लागू होने के बाद परीक्षार्थियों की हिंदी सहित दूसरे विषयों में एक ही प्रश्नपत्र की परीक्षा होती है। इस वजह से अब 70 नंबर के प्रश्नपत्र में परीक्षार्थियों का पास होना मुश्किल हो गया है। राजकीय बालिका इंटर कॉलेज की प्रधानाचार्या डॉ. इंदु सिंह का कहना है कि जब से हाईस्कूल, इंटर में हिंदी में एक प्रश्नपत्र की व्यवस्था लागू की गई है, परीक्षार्थियों को मिलने वाला अंक प्रतिशत कम हो गया। हिंदी में पहले दो प्रश्नपत्र हिंदी के शिक्षक पढ़ाते थे, जबकि तीसरा प्रश्नपत्र संस्कृत एवं व्याकरण का होता था। उसे संस्कृत के शिक्षक पढ़ाते थे। ऐसे में बच्चों को पूरे विषय की जानकारी हो जाती थी। इससे बच्चों की हिंदी कमजोर हो रही है। हिंदी में अब पूछे जाने वाले सवाल एक-एक अंक के होते हैं, वह पूरी तरह से गणित के प्रश्नपत्र की तरह अंक देने वाले हैं। ऐसे में छात्रों की गलती पर उन्हें शून्य अंक मिलते हैं। इसी कारण से बच्चे फेल हो रहे हैं। उनका कहा है कि बदली व्यवस्था में बच्चों को सीबीएसई के बच्चों की तरह यूपी बोर्ड के बच्चों की हिंदी कमजोर होती जा रही है।चंद्रशेखर आजाद इंटर कॉलेज पूरबनारा के शिक्षक इंद्रदेव पांडेय का कहना है कि पूरे वर्ष हिंदी के प्रति छात्रों की उदासीनता और यूपी बोर्ड की ओर से एनसीईआरटी पैटर्न लागू करना छात्रों को हिंदी में फेल होने के लिए जिम्मेदार है। उनका कहना है कि अब बच्चों को हिंदी का एक ही शिक्षक पढ़ाता है। इस कारण से बच्चों का हिंदी ज्ञान मजबूत नहीं हो रहा है। उनका कहना है कि इस बार का बोर्ड परीक्षा परिणाम स्कूलों में हिंदी की पढ़ाई को लेकर कई गंभीर सवाल भी उठा रहा है। फेल होने वालों में हाईस्कूल में पांच लाख 27 हजार 866 परीक्षार्थी और इंटर में दो लाख 69 हजार 960 परीक्षार्थी शामिल हैं।