प्रयागराज : इविवि शिक्षक भर्ती में याची ने कहा, नहीं वापस ली थी याचिका
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, प्रयागराज इविवि के पूर्व कुलपति प्रो. आरएल हांगलू के कार्यकाल में हिंदी विभाग में 32 प्रोफेसरों और एसोसिएट प्रोफेसरों की नियुक्ति का मामला एक बार फिर हाईकोर्ट पहुंच गया है। इससे पूर्व नियुक्ति में धांधली का आरोप लगाते हुए जनहित याचिका दाखिल की गई थी, जिसे बाद में याची द्वारा स्वयं वापस लिए जाने के आधार पर छह मार्च 2020 को हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी। याची प्रदीप कुमार द्विवेदी ने फिर हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा कि उन्होंने याचिका वापस नहीं ली थी, न तो मौखिक तौर से और न ही लिखित रूप से।संभावना लिपिकीय त्रुटि या टाइपिंग की गलती से गलत आदेश पारित हो गया है। इसे सुधारते हुए याचिका पर सुनवाई की मांग की गई है। याचिका में पूरी चयन प्रक्रिया को आर्डिनेंस के विपरीत बताते हुए उसे रद्द करने की मांग की गई है। याची के अनुसार प्रो. आरएल हांगलू ने अपने कार्यकाल में मनमाने तरीके से विभिन्न विभागों में शिक्षकों की नियुक्तियां की थी। इसी क्रम में हिंदी विभाग में 32 शिक्षकों की नियुक्तियां की गईं जो पूरी तरह अवैधानिक व अध्यादेश के विपरीत हैं।याचिका में कहा गया कि नियमानुसार पूरी चयन प्रक्रिया ही गलत है, क्योंकि चयन समिति में किसी भी बाहरी व्यक्ति को शामिल नहीं किया जा सकता था। लेकिन, इन शिक्षकों का चयन करने वाली समिति में प्रो. गोपेश्वर सिंह शामिल थे। इसके अलावा स्क्रीनिंग कमेटी भी डिफेक्टिव थी।नियमानुसार स्क्रीनिंग कमेटी में विभागाध्यक्ष, डीन एवं दो एक्सपर्ट रह सकते थे। इनमें एक एक्सपर्ट बाहर का हो सकता था, लेकिन प्रो. हांगलू ने मनमाने तरीके से स्क्रीनिंग कमेटी में दो की जगह तीन एक्सपर्ट रख दिए। नियम के अनुसार रिजेक्टेड अभ्यर्थी का चयन किसी भी स्थिति में नहीं किया जाएगा, लेकिन इस चयन प्रक्रिया में कुछ रिजेक्टेड अभ्यर्थियों का भी चयन कर लिया गया।कहा गया कि चयनित शिक्षकों से नियुक्ति के पूर्व इस बात का हलफनामा भी लिया गया था कि नियमों में परिवर्तन होने पर उनका चयन व नियुक्ति शून्य हो जाएगी। क्योंकि जब चयन किया जा रहा था, तब रोस्टर 16 लागू था। बाद में मानव संसाधन मंत्रालय ने अध्यादेश लागू कर दिया, लेकिन उन 32 शिक्षकों की सेवा समाप्त नहीं की गई। इस प्रकार अध्यादेश का उल्लंघन किया गया है।