नई दिल्ली : ऑनलाइन पोर्टल यसगुरुजी पर मातृभाषा हिंदी में पढ़ें फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ्स, बायोलॉजी
अच्छी शिक्षा की नींव होते हैं अच्छे शिक्षक जिनका लाभ आज टेक्नोलॉजी की मदद से उन बच्चों तक पहुंचाया जा सकता है जो महंगी शिक्षा अफोर्ड नहीं कर सकते
नई दिल्ली [अंशु सिंह]। आज जब तमाम ऑनलाइन एजुकेशन प्लेटफॉर्म अंग्रेजी में कंटेंट उपलब्ध करा रहे हैं, ऐसे में ‘यसगुरुजी डॉट कॉम’ देश का पहला एडटेक पोर्टल है, जो सेकंडरी क्लास के स्टूडेंट्स को हिंदी में विज्ञान विषयों की ऑनलाइन शिक्षा प्रदान कर रहा है।बच्चे इस प्लेटफॉर्म पर अपनी मातृभाषा में वीडियो लेसंस देख सकते हैं। इससे उन बच्चों को फायदा होगा, जो अंग्रेजी माध्यम के ऑनलाइन पैकेज या महंगे कोचिंग की मदद नहीं ले सकते। कंपनी के सीईओ बाल कृष्णा शुक्ला कहते हैं कि अच्छी शिक्षा की नींव होते हैं अच्छे शिक्षक, जिनका लाभ आज टेक्नोलॉजी की मदद से उन बच्चों तक पहुंचाया जा सकता है, जो महंगी शिक्षा अफोर्ड नहीं कर सकते। 2018 की यूपी बोर्ड की परीक्षा में सख्ती बरते जाने और उसकी सीसीटीवी से निगरानी के कारण प्रदेश के 150 से अधिक स्कूलों के सभी छात्र बोर्ड परीक्षा में असफल रहे थे। तब बाल कृष्ण शुक्ला और उनके दोस्तों (सभी अलग-अलग पेशे से जुड़े हैं) ने सोचा कि अपने-अपने घरों में बैठकर इस तरह की घटनाओं की आलोचना करना तो बहुत आसान है, लेकिन इसके समाधान के लिए कुछ ठोस करने का निर्णय लेना मुश्किल हो जाता है। तभी इन सभी ने फैसला लिया कि जो विषय बच्चों को कठिन लगते हैं और उनमें वे परफॉर्म नहीं कर पाते हैं, वैसे सब्जेक्ट्स के साथ एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया जाए। इस तरह दो साल पहले यस गुरु जी डॉट कॉम की नींव पड़ी।
आसान तरीके से विज्ञान विषयों की पढ़ाई
यसगुरुजी के सह-संस्थापक एवं सीईओ बाल कृष्ण शुक्ला बताते हैं, वैसे तो यूट्यूब पर सब्जेक्ट ट्यूटोरियल्स के अनेक वीडियो हैं। लेकिन हमने आइआइटी, जेएनयू, विभिन्न मेडिकल कॉलेजेज के विशेषज्ञों की मदद से यूपी बोर्ड के पाठ्यक्रम अनुसार, 11वीं के बच्चों के लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी, मैथ्स के ऐसे कोर्स तैयार किए हैं, जिन्हें वे अपनी मातृभाषा में आसानी से समझ सकते हैं। बच्चों को रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़े उदाहरणों के जरिए विज्ञान के प्रयोग बताए गए हैं। इस प्लेटफॉर्म पर साइंस के सभी सब्जेक्ट्स के वीडियोज मिल जाएंगे, जिनमें उच्च क्वालिटी के एनिमेशन एवं ऑडियो-विजुअल टेक्नोलॉजी का उपयोग किया गया है। फिलहाल, स्टूडेंट्स को किसी प्रकार की रजिस्ट्रेशन कराने की जरूरत नहीं है। न ही कोई फीस आदि देनी है।
चुनौतियों के बीच बढ़े आगे
2019 के केपीएमजी के एक अध्ययन के अनुसार, उत्तर प्रदेश उन नौ राज्यों में से एक है, जो हिंदी में अपने बोर्ड के इम्तिहान कंडक्ट करता है। लेकिन यहां इंफ्रास्ट्रक्चर की समस्या बड़ी है। सरकार के लिए राज्य के कोने-कोने में शिक्षा उपलब्ध कराना किसी चुनौती से कम नहीं है। बाल बताते हैं, हमने तय किया था कि प्रशासन की मदद से इस दिशा में जो कुछ हो सकता है वह करेंगे। लेकिन लॉकडाउन के कारण बात आगे नहीं बढ़ पाई।स्कूल भी बंद हो गए। आखिर में हमने वर्ड ऑफ माउथ प्रमोशन का सहारा लिया, ताकि इस संकट की घड़ी में जितने अधिक बच्चों को लाभ मिल सके। उनकी पढ़ाई में मदद हो सके। बालकृष्ण के अनुसार, हर साल लगभग 5 करोड़ हिंदी भाषी बच्चे 12वीं की परीक्षा के लिए नामांकन करते हैं। लेकिन उनकी सफलता दर उतनी सुखद नहीं है। इसलिए उनका एकमात्र उद्देश्य हिन्दी बेल्ट के बच्चों में विश्वास जगाना है कि वे भी अपने कॉन्सेप्ट को क्लियर कर, पढ़ाई में अव्वल आ सकते हैं। परीक्षा में फेल नहीं, उत्तीर्ण कर सकते हैं।नौकरी के साथ पूरी करते सामाजिक जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश के जौनपुर के मूल निवासी, बाल ने लखनऊ यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन और जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से मध्यकालीन भारतीय इतिहास में मास्टर्स किया है। तत्पश्चात् एक्सएलआरआई, जमशेदपुर से एचआर में एक साल का कोर्स करने के बाद कुछ समय जीई कैपिटल के साथ काम किया और फिर एमबीए करने अमेरिका के येल यूनिवर्सिटी चले गए। कुछ साल विदेश में काम किया।2010 में भारत लौटने पर इन्होंने करीब साढ़े चार साल गेमन इंडिया के साथ काम किया और फिर अन्य कंपनियों को कंसलटेंट के रूप में सेवाएं दी। इस समय ये एडमिट स्क्वायर कंसल्टिंग में सीनियर कंसल्टेंट हैं। वहीं, कंपनी के अन्य सदस्य, डॉ.रजनीकांत प्रसाद, हर्षवर्धन, डॉ.राजन कुमार, अमित राय भी मेडिकल, आइटी, सामाजिक एवं शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े हैं। बालकृष्ण बताते हैं, हम सभी हिंदी प्रदेश से आते हैं और अपने-अपने क्षेत्र में स्थापित हैं। सबकी अपनी एक्सपर्टीज एवं एक्सपोजर है। बेशक कई बार हमारे मत अलग होते हैं। छोटी नोंक-झोंक भी हो जाती है। लेकिन लक्ष्य एक है, बच्चों की मदद करना। कोई भी मुनाफा कमाने की नीयत से इस प्रोजेक्ट से नहीं जुड़ा है। सबने निजी पूंजी निवेश किया है। हां, कोर्स तैयार करने वाले अकादमिक विशेषज्ञों, वीडियो एडिटर्स आदि को जरूर हम उनका मेहनताना देते हैं।