सुल्तानपुर : वेतन से कटने के बाद भी एनपीएस खातों में नहीं पहुंचे 15 करोड़
सुल्तानपुर। परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत जिले के लगभग 4200 शिक्षकों करीब 15 करोड़ रुपये वेतन से न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) के रूप में कट गया है लेकिन अभी यह रुपया उनके खातों में नहीं भेजा गया है। यह राशि सात माह की बताई जा रही है। इसे लेकर शिक्षकों में उहापोह की स्थिति बनी हुई है। जिले के परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत लगभग 4200 शिक्षकों के वेतन से एनपीएस की कटौती होती है। इसमें शिक्षकों के मूल वेतन एवं महंगाई का 10 प्रतिशत पैसा काटा जाता है। जून 2019 से एनपीएस का पैसा प्रतिमाह शिक्षकों की वेतन से कट रहा है लेकिन उनके एनपीएस खातों में ऑनलाइन शो नहीं कर रहा है। इसे लेकर शिक्षकों में उहापोह की स्थिति बनी हुई है। उनका पैसा कहां अटका हुआ है, इसे लेकर शिक्षक असमंजस में हैं। 4200 शिक्षकों के औसतन पांच हजार रुपये के हिसाब से प्रतिमाह 2.10 करोड़ रुपये एनपीएस कटौती के रूप में काटे जा रहे हैं। सात माह का लगभग 15 करोड़ रुपये न्यू पेंशन स्कीम के तहत काटा गया है लेकिन उनके खातों में वह धनराशि नहीं पहुंची है। प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष दिलीप पांडेय ने कहा कि प्राथमिक शिक्षक संघ शुरू से ही एनपीएस कटौती का विरोध करता रहा है। एनपीएस का पैसा कहां अटका है, इसकी जांच होनी चाहिए और जब तक यह पैसा शो न हो तब तक कटौती बंद की जानी चाहिए।
10 प्रतिशत शिक्षक व 14 प्रतिशत सरकार का अंशदान एनपीएस में शिक्षकों के मूल वेतन एवं महंगाई का 10 प्रतिशत अंशदान जाता है जबकि सरकार को शिक्षक के मूल वेतन एवं महंगाई का 14 प्रतिशत अंशदान देना होता है। जून 2019 से अभी तक सरकार ने अपने अंशदान का बजट अलॉट नहीं किया है। इसकी वजह से शिक्षकों की एनपीएस कटौती भी वेबसाइट पर शो नहीं कर रही है।
जिले के लगभग 4200 शिक्षकों का कट रहा एनपीएस
National Pension एनपीएस कटौती का विरोध अंबा के जिलाध्यक्ष अशोक सिंह गौरा ने कहा कि पुरानी पेंशन से सभी सरकारी कर्मचारियों को आच्छादित करना चाहिए। हम सभी शुरू से ही एनपीएस का विरोध कर रहे हैं। सरकार की हीलाहवाली की वजह से हम सभी की गाढ़ी कमाई का पैसा कहां है, यह पता नहीं लग पा रहा है।
बजट मिलते ही शो करेगा पैसा शिक्षकों की सैलरी से एनपीएस की जो कटौती प्रतिमाह हो रही है उसका पैसा एनएसडीएल खाते में भेजा जा रहा है। सरकार का अंशदान मिलते ही पैसा खातों में शो करने लगेगा। किसी भी
शिक्षक या कर्मचारी को इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है। -मिथिलेश सिंह, वित्त एवं लेखाधिकारी, बेसिक शिक्षा