लखनऊ : यूजीसी और प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग के निर्देश जारी होने के वाद अव राज्य विश्वविद्यालय परीक्षा व प्रमोशन का खाका बनाने में जुट गए हैं। शासन ने सभी विश्वविद्यालयों को जरूरी वदलाव कर 23 जुलाई तक ऐक्शन प्लान उपलब्ध करवाने को कहा है। इसके वाद से अधिकतर राज्य विश्वविद्यालयों ने अपने यहां अकैडमिक काउंसिल की बैठक बुलाई है।
बढ़ते केस बढ़ा रहे परेशानी : राज्य विवि भले फाइनल इयर की परीक्षाओं और प्रमोशन का खाका वनाने में जुटे हों, लेकिन अव भी उनके सामने तमाम मुश्किलें व र कार हैं। लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, झांसी, गाजियाबाद सहित दूसरे बड़े शहरों में कोरोना के केस जिस तरह वढ़ रहे हैं, उसके साथ विश्वविद्यालयों की चिंता भी वढ़ रही है। फाइनल ईयर की परीक्षा में भी करीब 14 लाख परीक्षार्थी शामिल होंगे। हालांकि, शासन ने सितंवर के आखिर तक इसे पूरा करने का समय दिया है। एक राज्य विश्वविद्यालय के कुलपति का कहना है कि परीक्षा के लिए करीव दो महीने का समय है। हमें उम्मीद है कि तव तक स्थितियां वेहतर होंगी। फिलहाल परीक्षा का समय तय किए जाने, सवालों की संख्या व प्रकृति घटाने के विकल्प पर भी विचार चल रहा है। ताकि हर हाल में पूरी सुरक्षा और विना संक्रमण के खतरे के परीक्षा करवाई जा सके।
नए सत्र में पढ़ाई और परीक्षा में कई बदलाव
कोरोना काल में उपजी स्थतियों से निपटने के लिए विवि-कॉलेजों की शिक्षण और परीक्षा प्रणाली में व्यापक बदलाव तय हैं। शासन ने पिछले सप्ताह जारी निर्देशों में भी सभी विश्वविद्यालयों को सतत व समग्र मूल्यांकन की ओर बढ़ने को कहा है। इसमें मिड टर्म, सेशनल एग्जाम प्रॉजेक्ट वर्क आदि शामिल हैं। लखनऊ व एकाध विश्वविद्यालयों को छोड़ दिया जाए तो बाकी विवि व संबद्ध कॉलेजों में स्नातक स्तर पर वार्षिक कोर्स ही लागू हैं। ऐसे में उन्हें भी जल्द सेमेस्टर प्रणाली की ओर बढ़ना होगा । एक कुलपति का कहना है कि इस प्रणाली में नियमित मूल्यांकन का बड़ा हिस्सा कॉलेजों के हाथ में भी होगा । जैसा टेक्निकल कोर्सेज में होता है। इसलिए कॉलेजों व खासकर निजी क्षेत्र के शिक्षण संस्थानों पर निगरानी के लिए भी एक बड़ा तंत्र विकसित करना होगा।