वाराणसी : संस्कृत विश्वविद्यालय की डिग्री वाले 700 शिक्षकों के अभिलेख संदिग्ध
वाराणसी वरिष्ठ संवाददाता |
बेसिक शिक्षा परिषद से संचालित प्राथमिक और जूनियर विद्यालयों में फर्जी तरीके से कार्यरत शिक्षकों की एक सूची और जारी हो सकती है। ये वे शिक्षक हैं, जिन्होंने संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की फर्जी डिग्रियों का इस्तेमाल किया है। इस मामले की जांच एसआईटी कर रही है। सूत्रों का मानना है कि अब तक के सत्यापन से विभिन्न जिलों के करीब 700 शिक्षकों के अभिलेख संदिग्ध लग रहे हैं।
विश्वविद्यालय के परीक्षा विभाग ने एसआईटी को आश्वासन दिया है कि एक माह के भीतर वह समस्त जिलों के सत्यापन की रिपोर्ट सौंप देगी। जांच की प्रगति को लेकर छह जुलाई को लखनऊ में बैठक बुलाई गई है। जानकारों का कहना है बलिया, बागपत, सिद्धार्थ नगर, देवरिया, कुशीनगर आदि जनपदों में ज्यादा गड़बड़ी देखने को मिली है। वास्तविक स्थिति तब समझ में आएगी जब एसआईटी अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।
फर्जीगिरी के मामले में शासन के सख्त रुख को देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने सत्यापन तेज कर दिया है। सत्यापन में लगे कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई गई है। परीक्षा नियंत्रक विशेश्वर प्रसाद का कहना है कि सत्यापन एक जटिल काम है। विभिन्न अभिलेखों का मिलान कराने के बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जाता है। सत्यापन करते समय सुनिश्चित किया जाता है कि किसी प्रकार की गड़बड़ी न हो, क्योंकि इससे किसी का छात्र भविष्य प्रभावित हो सकता है। इसलिए इस कार्य में थोड़ा समय लगता है। प्रशासन की पूरी कोशिश है कि जल्द से जल्द रिपोर्ट एसआईटी को सौंप दी जाए।