नई दिल्ली : नई शिक्षा नीति में जब चाहो और जो चाहो वहीं पढ़ने की व्यवस्था, उच्च शिक्षा में ड्रापआउट खत्म होने की उम्मीद।
नई दिल्ली : नई शिक्षा नीति में वैसे तो कई बदलाव किए गए हैं, लेकिन उच्च शिक्षा में क्रेडिट ट्रांसफर का विकल्प उपलब्ध कराने से छात्रों को 'जब चाहो और जो चाहो' पढ़ने की सुविधा मिलेगी। इससे उच्च शिक्षा में ड्रॉपआउट खत्म होने की उम्मीद है और सकल प्रवेश दर (जीईआर) में इजाफा होगा।
नई व्यवस्था के अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी डिग्री कोर्स में प्रवेश लेता है और एक सेमेस्टर या दो सेमेस्टर के बाद छोड़ना चाहता है तो उसे दो फायदे मिलेंगे। एक, जितनी पढ़ाई उसने की है, उसका सर्टिफिकेट या डिप्लोमा मिल जाएगा। दूसरा, उसके द्वारा हासिल किए गए क्रेडिट आगे ट्रांसफर किए जा सकेंगे। मसलन यदि किसी छात्र ने बीटेक की एक साल की पढ़ाई की है और दो सेमेस्टर पूरे किए हैं, लेकिन इसके बाद वह बीकॉम करना चाहता है तो वह सीधे दूसरे वर्ष में एडमिशन ले सकेगा। हो सकता है कि उसे कोई ऑनलाइन ब्रिज कोर्स जैसा कुछ करना पड़े।लेकिन उसे नए सिरे से बीकॉम नहीं पढ़ना होगा। उसके एक साल के क्रेडिट दूसरे कोर्स में समायोजित हो जाएंगे।
नीति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले एआईसीटीई के चैयरमैन अनिल डी. सहस्रबुद्धे ने कहा कि मौजूदा समय में छात्रों के पास ऐसा कोई विकल्प नहीं है। वे बीच में पढ़ाई छोड़ते हैं तो उनके सारे क्रेडिट भी बेकार होते हैं और साल भी। लेकिन आगे ऐसा नहीं होगा। वे कहते हैं कि नई व्यवस्था में छात्रों को वापस आने का भी मौका मिलेगा। आजकोई कोर्स छोड़कर जाता है और दो-चार साल बाद उसी कोर्स या किसी अन्य कोर्स में वापस लौटाता है, तो उसके हासिल किए हुए क्रेडिट का इस्तेमाल होगा।
बदलाव : एक कोर्स में हासिल क्रेडिट का दूसरे कोर्स में भी हो सकेगा समायोजन एक बार पढ़ाई छोड़कर गए छात्रों को मिलेगा दोबारा पढ़ने का मौका
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