लखनऊ : परीक्षा के लिए विवि तैयार, पर छात्रों को कौन मनाएगा
लखनऊ। यूजीसी ने सोमवार देर शाम विश्वविद्यालयों में अंतिम वर्ष की परीक्षा कराने को हरी झंडी दे दी है। इसके बाद राजधानी की कई यूनिवर्सिटी शासन के निर्देश के इंतजार में हैं और कुछ परीक्षा के लिए तैयार भी हैं। हालांकि, इसके लिए छात्रों को कौन तैयार करेगा, यह बड़ा सवाल है।कोरोना के बीच विश्वविद्यालयों में कहीं धीमी तो कहीं तेज गति से परीक्षा का काम पहले भी चल रहा था। लखनऊ विवि तो सात जुलाई से पेपर भी कराने जा रहा था। परीक्षा केंद्र और कार्यक्रम जारी किया जा चुका है। वहीं, एकेटीयू में भी तैयारियां लगभग पूरी थीं, किंतु जब छात्रों को प्रमोट करने की बात चली तो उसने सेंटर आदि घोषित नहीं किए। डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विवि में भी परीक्षा फॉर्म भरे जा रहे हैं और अगस्त में परीक्षा है। इसके विपरीत लगभग सभी विवि के छात्र कोरोना के बढ़ते प्रभाव के कारण परीक्षा का विरोध कर रहे थे। लविवि में इसके लिए धरना, विरोध-प्रदर्शन हुआ तो एकेटीयू व पुनर्वास विवि के छात्र सोशल साइट पर इसके खिलाफ अभियान छेड़े थे। अब सिर्फ राहत यह है कि यूजीसी ने परीक्षाएं सितंबर में कराने की बात कही है। ऐसे में सबसे महत्वपूर्ण होगा कि प्रदेश सरकार क्या निर्णय लेती है और छात्र उसे कितना स्वीकारते हैं। बीबीएयू भी रिव्यू करेगा अपना निर्णयरू राजधानी में एकमात्र बीबीएयू ने ही यूजीसी की पूर्व की गाइडलाइन अनुसार विद्यार्थियों को प्रमोट करने का निर्णय लिया था। साथ ही कहा था कि अगर यूजीसी कोई और निर्देश देता है तो उसका भी अनुपालन होगा। परीक्षा नियंत्रक प्रो. मनीष वर्मा ने कहा कि अगर यूजीसी ने फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स की परीक्षा कराने की गाइडलाइन दी है तो हम अपने निर्णय का रिव्यू करेंगे। गाइडलाइन का पालन होगा।
*सरकार के निर्देश का इंतजार*
राज्य सरकार के निर्देश का इंतजार रहेगा। हम पहले भी तैयार थे, अब भी हैं। अगर परीक्षा भी करवाते हैं तो छात्रों के संक्रमण से बचाव के हर इंतजाम करेंगे। प्रो. विनय कुमार पाठक, कुलपति, एकेटीयू .....
*चार दिन में हो जाएगी तैयारी.*
प्रदेश सरकार परीक्षा के संबंध में जो निर्देश देगी उसका पालन होगी। हम तीन से चार दिन में नया कार्यक्रम जारी कर परीक्षा शुरू करा सकते हैं। कोरोना से बचाव के सारे संभव प्रयास होंगे। प्रो. आलोक कुमार राय, कुलपति
*लविवि यूजीसी करे पुनर्विचार..*
यूजीसी को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। यहां बात सिर्फ परीक्षा की नहीं, विद्यार्थियों की सुरक्षा की भी है। किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में बिना एग्जाम चयन नहीं होता है। ऐसे में डिग्री के लिए विद्यार्थियों का जीवन संकट में डालकर परीक्षा कराने का फैसला सही नहीं है। डॉ. मनोज पांडेय, अध्यक्ष, लखनऊ विश्वविद्यालय संयुक्त शिक्षक संघ जारी रहेगा छात्रों का विरोध विवि में दूर-दूर से आकर छात्र पढ़ते हैं। दो महीने में स्थिति सामान्य होगी, इसकी क्या गारंटी है। विद्यार्थियों के जीवन को संकट में डालकर परीक्षा कराने की तैयारी है।परीक्षा के बाद विद्यार्थी घर वापस कैसे जाएंगे। लखनऊ में उनके रहने और खाने की व्यवस्था कैसे होगी। इन बिंदुओं पर सोचा ही नहीं गया। मास प्रोमोशन की मांग पर हमारा आंदोलन जारी रहेगा। अनिल मास्टर, समाजवादी छात्र सभा यूजीसी के फैसले का स्वागत यूजीसी ने निर्णय लिया है कि केवल अंतिम वर्ष के छात्रों की परीक्षा सितंबर के अंत में करवाई जाए और अन्य को इंटरनल एसेसमेंट के आधार पर प्रमोट किया जाए, मैं इस निर्णय का स्वागत करता हूं। कोरोना के तनावग्रस्त माहौल में यह छात्रों के लिए हितकारी निर्णय है। राज्य सरकार को भी शासनादेश जारी कर स्थिति स्पष्ट करना चाहिए। डॉ. विनीत कुमार वर्मा महामंत्री, लखनऊ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ