फतेहपुर : कोरोना संक्रमण को लेकर करीब तीन माह से बंद चल रहे बेसिक शिक्षा विभाग के प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों को एक जुलाई से खोलने का फरमान जारी हो चुका है। संक्रमण को देखते हुए अभी भी परिषदीय शिक्षक स्कूल जाने में सहमें नजर आ रहे हैं। इनका कहना है कि करीब सभी विद्यालयों को क्वारंटीन सेंटर बनाया गया था, जिसमें कई सेंटर से कोरोना पॉजिटिव केस भी निकले हैं। अभी तक विद्यालयों को सेनेटाइज तक नहीं कराया गया है।
ऐसे में विद्यालय में संक्रमण फैलने की अशंका प्रबल हो रही है। करीब साढ़े तीन महीने की लंबी छुट्टी के बाद बुधवार से जिले भर के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों के ताले स्टाफ के लिए खुल जाएंगे। सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं, अनुदेशक व शिक्षामित्रों को विद्यालय समय से आना होगा। यह शिक्षक स्कूल पहुंचकर विद्यालयों की रंगाई पुताई, कायाकल्प के तहत कार्य, यूनीफार्म, पुस्तक वितरण समेत अन्य कार्यों को निपटाएंगे। खोले जा रहे विद्यालयों को लेकर शिक्षकों के बीच कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। शिक्षकों की मानें तो संक्रमण काल के दौरान बच्चों के न आने पर शिक्षण कार्य तो होगा नहीं, ऐसे में शिक्षकों को विद्यालय में बुलाना ठीक नहीं है। वहीं शिक्षक नेताओं ने शिक्षकों को स्कूल बुलाए जाने का विरोध किया है और कहा है कि इसका कोई औचित्य नहीं नहीं है।
विविंग टाइम पर रहती है नजर : विभाग दीक्षा ऐप के डाउनलोड एवं विविंग टाइम(देखा जाने वाला समय) के आंकड़ों की लगातार समीक्षा करता है। विभाग ने प्रत्येक शिक्षक व स्मार्टफोन धारक अभिभावक के मोबाइल फोन में दीक्षा ऐप डाउनलोड सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए हैं। प्रत्येक विषय के हर पाठ में मौजूद क्यूआर कोड को स्कैन करने पर दीक्षा एप का लिंक खुल जाता है। वहां उस पाठ से सम्बन्धित विषय सामग्री मौजूद रहती है। पुस्तक वितरण के बाद बच्चों के लिए इस दौर में पढ़ना आसान होगा। हालांकि ग्रामीण इलाकों में नेटवर्क, स्मार्टफोन की उपलब्धता जैसी व्यवहारिक समस्याएं भी हैं।
विविंग टाइम पर रहती है नजर : विभाग दीक्षा ऐप के डाउनलोड एवं विविंग टाइम(देखा जाने वाला समय) के आंकड़ों की लगातार समीक्षा करता है। विभाग ने प्रत्येक शिक्षक व स्मार्टफोन धारक अभिभावक के मोबाइल फोन में दीक्षा ऐप डाउनलोड सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए हैं। प्रत्येक विषय के हर पाठ में मौजूद क्यूआर कोड को स्कैन करने पर दीक्षा एप का लिंक खुल जाता है। वहां उस पाठ से सम्बन्धित विषय सामग्री मौजूद रहती है। पुस्तक वितरण के बाद बच्चों के लिए इस दौर में पढ़ना आसान होगा। हालांकि ग्रामीण इलाकों में नेटवर्क, स्मार्टफोन की उपलब्धता जैसी व्यवहारिक समस्याएं भी हैं।
क्वारंटीन सेंटर बने विद्यालय नहीं हुए अब तक सेनेटाइज : जनपद के कई स्कूलों को क्वारंटीन सेंटर भी बनाया गया था। उस समय बाहर से आने वाले व्यक्तियों को 14-14 दिन के लिए यहां रोका गया। हालांकि बाद में नियम बदलकर 21 दिन के लिए होम क्वारंटीन हो गया है। जो स्कूल क्वारंटीन सेंटर या अस्थाई आश्रय स्थल बने, उनको सेनेटाइज भी नहीं कराया गया है। बीएसए ने बताया कि काफी पहले स्कूलों को क्वारंटीन सेंटर बनाया गया था। 21 दिन से अधिक हो गए हैं। डीएम ने विद्यालयों को सेनेटाइज किए जाने को लेकर निर्देश जारी किए हैं।
गैर जिलों से भी आएंगे शिक्षक : परिषदीय स्कूलों में अधिकांश शिक्षक गैर जिलों से भी आते हैं। लॉकडाउन के दौरान अपने अपने घरों में पहुंचे शिक्षक स्कूल खुलने पर वापस आएंगे। तमाम ऐसे जिले हैं जहां अधिकांश स्थान हॉटस्पॉट घोषित हैं। जिले के परिषदीय विद्यालयों में करीब दस हजार से अधिक शिक्षक शिक्षिकाएं तैनात हैं। ऐसे में गैर जिलों से आने वाले शिक्षकों के सम्पर्क में तमाम लोग होंगे। जिसको लेकर शिक्षक सहमें नजर आ रहे हैं।
क्या बोले शिक्षक नेता : शासन प्रशासन के आदेश का पालन तो किया जाएगा, लेकिन कोरोना संक्रमण के बचाव को लेकर कोई ठोस कदम न उठाया जाना दुखद है। मांग के बाद भी अभी तक विद्यालयों को सेनेटाइज नहीं कराया गया है। यदि किसी भी शिक्षक को संक्रमण होता है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा। विभाग द्वारा जल्दबाजी में विद्यालय खोले जा रहे हैं। जो कतई ठीक नहीं है। - विजय त्रिपाठी महामंत्री प्राशिसं
शासन के निर्देशों का पालन कराया जा रहा है। बुधवार से विद्यालय खोले जाएंगे। डीएम के आदेश में कई ब्लाकों के विद्यालयों को सेनेटाइज भी किया गया है। सभी विद्यालय सेनेटाइज होंगे। संक्रमण बचाओ को लेकर विभाग गंभीर है।- शिवेंद्र प्रताप सिंह, बीएसए