लखनऊ : उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने गुरुवार को राज्य विश्वविद्यालयों की परीक्षाओं के संबंध में गाइडलाइन जारी की इसमें कई विकल्प दिए गए हैं। इनके आधार पर विश्वविद्यालयों से 23 जुलाई तक कार्ययोजना देने के लिए कहा गया है। प्रथम वर्ष-द्वितीय सेमेस्टर की परीक्षा (2019-20):
विकल्प 1- प्रथम वर्ष के छात्रों के परिणाम (यूजीसी की संस्तुति के अनुसार) शत-प्रतिशत आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर घोषित किए जाएं।
विकल्प-2- प्रदेश सरकार द्वारा गठित समिति की संस्तुतियों के अनुसार किया जाए।
1-अ : सभी संस्थानों के प्रथम वर्ष के वे छात्र जो प्रोन्नत होकर वर्ष 2020-21 की द्वितीय वर्ष की परीक्षा में शामिल होंगे और संबंधित विश्वविद्यालय के नियमों के तहत यदि ये सभी विषयों में अलग-अलग उत्तीर्ण पाए जाते हैं तो द्वितीय वर्ष के सभी विषयों के प्राप्तांकों का औसत अंक उसके प्रथम वर्ष के उन अवशेष विषयों/प्रश्नपत्रों का प्राप्तांक माना जाएगा जिनमें 2020 में परीक्षा नहीं हो सकी।
1-ब : समस्त संकायों के द्वितीय सेमेस्टर के ऐसे छात्र जिनकी 2020 में परीक्षा नहीं हो सकी है, उनके प्रथम सेमेस्टर की दिसंबर 2019 के सभी सभी विषयों के प्राप्तांकों का औसत अंक ही उसके द्वितीय सेमेस्टर का प्राप्तांक माना जाएगा।
2 : यदि 2021 में द्वितीय वर्ष का चतुर्थ सेमेस्टर सेमेस्टर की परीक्षा में शामिल होने वाला छात्र कुछ विषय/विषयों में अलग-अलग उत्तीर्ण होते हुए बैकपेपर या इम्प्रूवमेंट परीक्षा के लिए अर्ह पाया जाता है तो इस छात्र द्वारा उत्तीर्ण किए गए सभी विषयों के प्राप्तांकों का औसत अंक ही उसके प्रथम वर्ष/द्वितीय सेमेस्टर के उन विषयों का प्राप्तांक माना जाएगा जिनमें परीक्षा 2020 में नहीं हो सकी।
3. यदि कोई छात्र 2021 द्वितीय वर्ष में संबंधित विश्वविद्यालय के नियमों के तहत अनुत्तीर्ण हो जाता है तो वह 2022 में इस परीक्षा में पुनः शामिल होगा तथा इस परीक्षा में उसके द्वितीय वर्ष के परिणाम के आधार पर ही उसके प्रथम वर्ष 2020 के उन अवशेष विषयों या प्रश्नपत्रों का प्राप्तांक माना जाएगा, जिनमें 2020 में परीक्षा नहीं हो सकी।
इंटरमीडिएट कक्षाओं की परीक्षा (जहां तीन/चार/पांचवर्षीय पाठ्यक्रम संचालित हैं, उनके प्रथमएवं अंतिमवर्ष को छोड़कर)
विकल्प 1- इंटरमीडिएट कक्षाओं के छात्रों की सेमेस्टर/वार्षिक परीक्षाओं का परिणाम (यूजीसी दिशा-निर्देशों के अनुसार) 50 प्रतिशत विगत परीक्षा परिणामों के आधार पर तथा 50 प्रतिशत आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर घोषित किया जाए। विकल्प 2- सभी संकायों के द्वितीय वर्ष/चतुर्थ समेस्टर के छात्रों को प्रथम वर्ष (2019)/प्रथम-तृतीय (सभी तीन) सेमेस्टर के सभी विषयों के प्राप्तांकों का औसत अंक उनके द्वितीय वर्ष (2020)/चतुर्थ सेमेस्टर (2020) के उन शेष विषयों या प्रश्नपत्रों का प्राप्तांक माना जाएगा।
विश्वविद्यालयों की अंतिम वर्ष की परीक्षा छोड़ सभी परीक्षाएं रद, केंद्र सरकार और यूजीसी के दिशा निर्देशों के अनुसार राज्य सरकार का फैसला।
लखनऊ प्रमुख संवाददाता
उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि कोरोना महामारी के खतरे को देखते हुए अंतिम वर्ष या अंतिम सेमेस्टर को छोड़कर राज्य विश्वविद्यालयों की अन्य सभी परीक्षाएं अब नहीं होंगी। स्नातक व स्नातकोत्तर अंतिम वर्ष या अंतिम सेमेस्टर की शेष परीक्षाएं सितंबर के अंत तक ऑफलाइन या ऑनलाइन या मिश्रित विधा से कराई जाएंगी। डॉ. शर्मा गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने बताया कि स्नातक अंतिम वर्ष की परीक्षाएं 30 सितंबर तक कराकर परीक्षा परिणाम 15 अक्टूबर तक और स्नातकोत्तर अंतिम वर्ष का 31 अक्तूबर तक घोषित होगा। यह फैसला विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) व केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार लिया गया है। उन्होंने कहा, कुछ विश्वविद्यालयों ने सभी परीक्षाएं लॉकडाउन से पहले करा ली थीं तथा परिणाम भी जारी कर दिया था। वे परीक्षा परिणाम यथावत रहेंगे। इन परीक्षाओं पर वे नियम लागू होंगे, जो पहले से लागू थे कुछ विश्वविद्यालयों ने विभिन्न कक्षाओं की कुछ परीक्षाएं लॉकडाउन से पहले करा ली थीं, उनका मूल्यांकन कराकर अंक अंतिम परिणाम में शामिल किए जाएंगे।
कोविड-19 संक्रमण के खतरे के मद्देनजर राज्य विश्वविद्यालयों की अंतिम वर्ष या अंतिम सेमेस्टर की परीक्षाओं को छोड़कर बाकी परीक्षाएं स्थगित कर दी गई हैं।
-डॉ. दिनेश शर्मा, उपमुख्यमंत्री
बढ़ा सकेंगे अंक :: प्रथम एवं अंतिम वर्ष सहित सभी वर्षों के ऐसे छात्र जो प्रोन्नत किये जाने का आधार बनने वाले अंकों से संतुष्ट नहीं होंगे तो वे दोबारा परीक्षा दे सकेंगे। वे 2021 में आयोजित होने वाली बैक पेपर परीक्षा या 2021-22 में आयोजित होने वाली वार्षिक/सेमेस्टर परीक्षा के उन सभी अथवा किसी भी विषय में शामिल होकर अंकों में सुधार करने का अवसर प्राप्त कर सकेंगे।
अंतिम वर्ष व अंतिम सेमेस्टर की परीक्षाएं सितंबर से।
15 अक्टूबर तक घोषित होगा स्नातक अंतिम वर्ष का परीक्षा परिणाम
विश्वविद्यालयों से 23 जुलाई तक मांगी गई कार्ययोजना उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने बताया कि कक्षाओं में पदोन्नति के नियम बनाने के लिए लिए विश्वविद्यालयों को विकल्प भी दिए गए हैं। उप्र राज्य उच्च शिक्षा परिषद की तरफ से विश्वविद्यालयों को मार्गदर्शी गाइडलाइन भेजी गई है और उनसे 23 जुलाई तक कार्ययोजना बनाकर देने को कहा गया है।
31 अक्टूबर तक आएगा पटना स्नातक अंतिम वर्ष का परीक्षा परिणाम
तकनीकी और प्रबंधन कोर्स के लिए ये दिशा-निर्देश नहीं :: ये दिशा-निर्देश विश्वविद्यालयों में संचालित कला, विज्ञान, वाणिज्य, विधि एवं कृषि विषयों के स्नातक व परास्नातक पाठ्यक्रमों के संदर्भ में ही लागू होंगे। अभियंत्रण एवं प्रबंधन के स्नातक व परास्नातक पाठ्यक्रमों के संबंध में प्राविधिक शिक्षा विभाग से जारी होने वाले निर्देश लागू होंगे।
ऐसे छात्र जो पूर्व में कराई गई इस परीक्षा के अपूर्ण परिणाम के आधार पर संबंधित विश्वविद्यालय के नियमानुसार बैकपेपर के लिए भी अर्ह नहीं है तथा अनुत्तीर्ण हैं, उनको वर्ष 2020 की परीक्षा में उत्तीर्ण घोषित किया जाएगा। राज्य सरकार ने सभी वर्षों या सेमेस्टर के छात्रों के परीक्षा परिणाम घोषित करने के लिए कई विकल्प दिए हैं। राज्य विश्वविद्यालय उनके आधार पर कार्ययोजना बना सकते हैं।