लखनऊ : स्कूलों में जमीन पर हुए काम की होगी जांच संविदा शिक्षकों को सौंपी जांच
विशेष संवाददाता - राज्य मुख्यालय स्कूलों में 2017-18, 2018-19 और 2019-20 में स्कूलों में हुए कामों की जमीन पर जांच की जाएगी लेकिन भौतिक सत्यापन का जिम्मा जिन्हें दिया गया है, उसे लेकर सवाल उठ रहे हैं। सत्यापन का जिम्मा इन्टीनरेंट / रिसोर्स शिक्षक, फिजियोथेरेपिस्ट को सौंपा गया है। ये संविदा शिक्षक होते हैं ऐसे में वे विद्यालय प्रबंध समिति और हेडमास्टर के हस्ताक्षर से खरीदे गए सामान का सत्यापन कैसे कर पाएंगे?इन्टीनरेंट, रिसोर्स शिक्षक या फिजियोथेरेपिस्ट समेकित शिक्षा के लिए रखे जाते हैं और एक ब्लॉक में कई स्कूलों में इन्हें जाना होता है। वहां ये दिव्यांग बच्चों को पढ़ाते हैं। ये संविदा पर रखे जाते हैं जबकि स्कूल में सामान खरीदने की जिम्मेदारी विद्यालय प्रबंध समिति की होती है। इस कमेटी में अभिभावकों के साथ तीन सरकारी प्रतिनिधि भी होते हैं। खरीद का निर्णय समिति का होता है लेकिन खरीद के लिए चेक पर हेडमास्टर व समिति के अध्यक्ष करते हैं। वे शिक्षक जिन स्कूलों में पढ़ा रहे हैं, वहां के हेडमास्टर की शिकायत भर से उनकी संविदा पर खतरा हो सकता है लिहाजा वे कैसे स्कूल में भौतिक सत्यापन कर उसका फोटो प्रेरणा ऐप पर अपलोड करेंगे? इन शिक्षकों को भौतिक व स्थलीय सत्यापन के लिए 200 रुपये प्रति स्कूल भत्ता भी दिया जाएगा। स्कूलों को हैंडपंप, चारदीवारी, बिजली, सबमर्सिबल पंप, फर्नीचर, खेल सामग्री, लाइब्रेरी आदि के लिए विभिन्न तरह की ग्रांट स्कूल भेजी जाती हैं। खेल व लाइब्रेरी के लिए 10 से 20 हजार रुपये प्रति प्राइमरी व जूनियर हाईस्कूल को दिया जाता है। विभिन्न मदों में बेसिक शिक्षा निदेशालय व समग्र शिक्षा अभियान से धनराशि समय-समय पर दी जाती है। 2018 से स्कूलों को छात्र संख्या के आधार पर 12,500 से लेकर एक लाख रुपये तक की कम्पोजिट ग्रांट दी जा रही है।