बिहार : विधानसभा चुनाव से पहले बिहार में शिक्षकों को नीतीश सरकार ने दिया बड़ा तोहफा, मूल वेतन में 15 फीसदी की वृद्धि
पंचायती राज संस्थाओं और नगर निकायों के शिक्षकों की नई सेवाशर्त नियमावली को राज्य कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। इसके अनुसार साढ़े तीन लाख से अधिक शिक्षकों को कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) का लाभ सितंबर, 2020 से ही दिया जाएगा। वहीं इन शिक्षकों के मूल वेतन में 15 प्रतिशत की वृद्धि की गई है, जिसका लाभ एक अप्रैल, 2021 से मिलेगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में यह स्वीकृति प्रदान की गई। गौरतलब हो कि स्वतंत्रता दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री ने गांधी मैदान से इसकी घोषणा की थी।
बैठक के बाद शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव आरके महाजन ने कहा कि ईपीएएफ में 13 प्रतिशत हिस्सा राज्य सरकार देगी। इसमें 12 प्रतिशत शिक्षकों के पीएफ खाते में तथा एक प्रतिशत राशि ईपीएफओ को जाएगी। इसी प्रकार शिक्षक भी 12 प्रतिशत की अपनी हिस्सेदारी देंगे। उन्होंने कहा कि ईपीएफ का लाभ दिया जाना भी एक तरह से वेतन वृद्धि ही है। इसमें अंतर्गत पेंशन का लाभ भी मिलेगा। शिक्षकों की मृत्यु पर इसमें ढाई से छह लाख तक का राशि भी देने का प्रावधान है।
ईपीएफ का लाभ दिए जाने पर राज्य सरकार पर सालाना 815 करोड़ का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। इसी प्रकार वेतन वृद्धि से सालाना 1950 करोड़ का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। कुल 2765 करोड़ अतिरिक्त खर्च होंगे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की इच्छा थी कि शिक्षकों को वेतन वृद्धि का लाभ इसी वित्तीय वर्ष से दिया जाए। लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण राज्य की आर्थिक स्थिति अभी ऐसी नहीं है। इस कारण इसका लाभ अगले वित्तीय वर्ष से दिया जाएगा। इस साल पहले चार महीने में राज्य सरकार के राजस्व में 33 प्रतिशत की कमी आई है। माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में नियुक्ति में एक साल तक अतिथि शिक्षक के रूप में कार्य करने वाले को मेधा अंक में पांच अंकों का वेटेज मिलेगा। ऐसे चार हजार शिक्षक अभी हैं। राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत नियुक्त शिक्षकों का वेतन भी अब अन्य के साथ में जाएगा, तऋकि समय पर वेतन भुगतान हो।
शिक्षकों के वेतन को 1560 करोड़ स्वीकृत
समग्र शिक्षा अभियान के तहत कार्यरत शिक्षकों के जुलाई और अगस्त के वेतन के लिए 1560 करोड़ जारी होंगे। कैबिनेट ने राशि जारी करने की स्वीकृति दे दी है। वहीं राज्य के प्रस्वीकृति प्राप्त 47 संस्कृति विद्यालयों में स्वीकृत पदों के विरुद्ध 15 फरवरी 2011 के पूर्व विधिवत रूप से नियुक्त शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मियों को छठे एवं सातवें वेतन संरचना के अनुरूप पुनरीक्षत दर से अनुदान देने की मंजूरी कैबिनेट ने दी है। वहीं पुनर्बहाल स्वीकृति प्राप्त संस्कृत विद्यालयों में 15 फरवरी 2011 के बाद स्वीकृत पद के विरुद्ध नियुक्त शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मियों को पांच मार्च 2019 के प्रभाव से नवीन वेतन संरचना में नए दर से वेतन की स्वीकृति दी गई।
पांच सालों में 60 प्रतिशत वेतन बढ़ा
आरके महाजन ने कहा कि एक जुलाई 2015 में इन शिक्षकों के लिए वेतनमान लागू किया गया। उस समय 20 प्रतिशत वेतन वृद्धि की गई। 2017 में सातवें वेतनमान के अनुरूप 17 प्रतिशत की वेतन वृद्धि की गई। वर्तमान में ईपीएफ को मिलाकर करीब 20 प्रतिशत की वेतन वृद्धि की जा रही है। इस प्रकार पांच सालों में 60 प्रतिशत वेतन बढ़ा।
ऐच्छिक स्तानांतरण का लाभ
महिला और दिव्यांग शिक्षकों तथा पुस्तकालयाध्यक्षों को अपने नियोजन इकाई तथा अपने जिले से बाहर एक बार ऐच्छिक स्थानांतरण का लाभ मिलेगा। वहीं पुरुष शिक्षकों तथा पुस्तकालयाध्यक्षों को इसका लाभ आपसी सहमति (पारस्परिक) से मिलेगा। आरके महाजन ने कहा कि कई महिला शिक्षक थी, जो शादी से पहले से नियुक्त थी, पर बाद में उन्हें दिक्कत होने लगी। इस फैसले से ऐसी महिला शिक्षकों को भी काफी लाभ होगा।
प्रोन्नति का लाभ
प्राथमिक से मध्य विद्यालय तथा माध्यमिक विद्यालय से उच्च माध्यमिक विद्यालय में योग्य शिक्षकों की प्रोन्नति होगी। मध्य और उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में 50 प्रतिशत पद प्रोन्नति से ही भरे जाएंगे। वे प्रचार्य भी बन सकेंगे।