एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग
की समस्त सूचनाएं एक साथ

"BSN" प्राइमरी का मास्टर । Primary Ka Master. Blogger द्वारा संचालित.

जनपदवार खबरें पढ़ें

जनपदवार खबरें महराजगंज लखनऊ इलाहाबाद प्रयागराज गोरखपुर उत्तर प्रदेश फतेहपुर सिद्धार्थनगर गोण्डा बदायूं कुशीनगर सीतापुर बलरामपुर संतकबीरनगर देवरिया बस्ती रायबरेली बाराबंकी फर्रुखाबाद वाराणसी हरदोई उन्नाव सुल्तानपुर पीलीभीत अमेठी अम्बेडकरनगर सोनभद्र बलिया हाथरस सहारनपुर बहराइच श्रावस्ती मुरादाबाद कानपुर अमरोहा जौनपुर लखीमपुर खीरी मथुरा फिरोजाबाद रामपुर गाजीपुर बिजनौर बागपत शाहजहांपुर बांदा प्रतापगढ़ मिर्जापुर जालौन चित्रकूट कासगंज ललितपुर मुजफ्फरनगर अयोध्या चंदौली गाजियाबाद हमीरपुर महोबा झांसी अलीगढ़ गौतमबुद्धनगर संभल हापुड़ पडरौना देवीपाटन फरीदाबाद बुलंदशहर

Search Your City

नई दिल्ली : दुनिया के 80 करोड़ बच्‍चों के खून में घुल रहा सीसा का जानलेवा जहर, दक्षिण एशिया सबसे अधिक प्रभावित

0 comments
नई दिल्ली : दुनिया के 80 करोड़ बच्‍चों के खून में घुल रहा सीसा का जानलेवा जहर, दक्षिण एशिया सबसे अधिक प्रभावित

यूनिसेफ की एक रिपोर्ट में कहा गयाहै कि दुनिया के 80 करोड़ बच्‍चे सीसा धातु के जहरीले प्रभाव में आकर जीने को मजबूर हैं।

पुर्तगाल (संयुक्‍त राष्‍ट्र)। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) की एक रिपोर्ट में कहा गया हे कि दुनिया के लगभग तीन चौथाई बच्चे सीसा (Lead) धातु के जहर के साथ जीने को मजबूर हैं। इतनी बड़ी संख्या में बच्चों के सीसा धातु से प्रभावित होने की वजह एसिड बैटरियों के निस्‍तारण को लेकर बरती जाने वाली लापरवाही है। इसकी वजह से यूनिसेफ ने इस तरह की लापरवाही के प्रति आगाह करते हुए इसको तत्‍काल बंद करने की अपील भी की है।

यूनिसेफ और प्‍योर अर्थ की The report - The Toxic Truth: Children’s exposure to lead pollution undermines a generation of potential के नाम से सामने आई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर के करीब 80 करोड़ बच्चों के खून में इसकी वजह से इस जहरीली सीसा धातु का स्तर 5 माइक्रोग्राम प्रति डेसीलीटर या उससे भी ज्‍यादा है। यूनिसेफ की इस रिपोर्ट में बच्‍चों की जितनी संख्‍या बताई गई है उसके मुताबिक दुनिया का हर तीसरा बच्‍चा इस जहर के साथ जी रहा है। यूनिसेफ ने आगाह किया है कि खून में सीसा धातु के इतने स्तर पर मेडिकल ट्रीटमेंट की जरूरत होती है। इस रिपोर्ट की दूसरी सबसे बड़ी चौंकानें वाली बात ये भी है कि इस जहर का मजबूरन सेवन करने वाले आधे बच्‍चे दक्षिण एशियाई देशों में रहते हैं।

रिपोर्ट की सिफारिश

प्योर अर्थ के अध्यक्ष रिचर्ड फ्यूलर का कहना है कि सीसा धातु को कामगारों और उनके बच्चों और आसपास की बस्तियों के लिये जोखिम पैदा किये बिना ही सुरक्षित तरीके से री-सायकिल किया जा सकता है। इसके अलावा लोगों को सीसा धातु के खतरों के बारे में जानकार व जागरूक बनाकर उन्हें और उनके बच्चों को इसके खतरों से सुरक्षित रहने के लिये सशक्त बनाया जा सकता है। उनके मुताबिक इस निवेश के भी कई फायदे हैं। रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि प्रभावित देशों की सरकारें सीसा धातु की मौजूदगी की निगरानी रखने और उसकी जानकारी मुहैया कराने की प्रणालियां विकसित करने के लिये एकजुट रुख अपनाएं। इसके अलावा रोकथाम व नियंत्रण के उपाय लागू करें।

शुरुआती लक्षण नहीं आते नजर

यूनीसेफ की कार्यकारी निदेशक हेनरिएटा फोर के मुताबिक खून में सीसा धातु की मौजूदगी के शुरुआती लक्षण नजर नहीं आते हैं और ये धातु खामोशी के साथ बच्चों के स्वास्थ और विकास को बबार्द कर देती है। उनके मुताबिक इसके परिणाम घातक भी होते हैं। उनका कहना है कि सीसा धातु के प्रदूषण के व्यापक फैलाव के बारे में जानने और व्यक्तियों के जीवन व समुदायों पर इसकी तबाही को समझने के बाद बच्चों को अभी और हमेशा के लिये इससे सुरक्षित बनाने के लिये ठोस कार्रवाई की प्रेरणा सामने आनी चाहिए। इस रिपोर्ट बच्चों के सीसा धातु की चपेट में आने का पूरा विश्लेषण मौजूद है जिसे स्वास्थ्य मैट्रिक्स मूल्यांकन संस्थान के तत्वावधान में किया गया है।

रिपोर्ट में पांच देशों का जिक्र

इस रिपोर्ट में पांच देशों की वास्तविक परिस्थितियों का मूल्यांकन भी किया गया। इनमें बांग्‍लादेश के कठोगोरा, जियार्जिया का तिबलिसी, घाना का अगबोगब्लोशी, इंडोनेशिया का पेसारियान और मैक्सिको का मोरोलॉस प्रांत शामिल है। इसमें कहा गया है कि सीसा धातु में न्यूरोटॉक्सिन होता है जिनके कारण बच्चें के मस्तिष्क को वो नुकसान पहुंचता है जिसकी भरपाई नहीं की जा सकती है। इसका इलाज भी संभव नहीं है।

नवजात शिशुओं के लिए घातक

इस घातु का संपर्क नवजात शिशुओं और पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए अत्‍यंत घातक होता है। इसकी वजह से उनके मस्तिष्कों में जीवन भर के लिये समस्‍याएं बन जाती हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक बचपन में ही सीसा धातु की चपेट में आने से बच्चों और व्यस्कों में मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहार संबंधी परेशानियां देखने को मिलती हैं। इसका एक असर अपराध और हिंसा में बढ़ोतरी के रूप में भी सामने आ सकता है। निम्‍न और मध्य आय वाले देशों में इस तरह के बच्चों और व्यस्कों से उनके जीवन काल में देशों की अर्थव्यवस्थाओं को खरबों डॉलर का नुकसान होता है।

बैटरियों के सही डिस्‍पोजल की कोई व्‍यवस्‍था नहीं

रिपोर्ट में पाया गया है कि इस तरह की आय वाले देशों में बैटरियों के सही डिस्‍पोजल की कोई व्‍यवस्‍था नहीं है। इसके अलावा इनकी री-सायकिलिंग भी कोई सही व्यवस्था नहीं है, जो इस समस्‍या का सबसे बड़ा कारण है। यही बच्चों में सीसा धातु का जहर फैलने का एक बहुत बड़ा कारण भी है। इन देशों में वाहनों की संख्या में बढ़ोत्तरी के साथ बैटरियों का कचरा भी काफी निकल रहा है। इसमें ये भी कहा गया है इन देशों में री-सायकिलिंग की सही व्‍यवस्‍था न होने की वजह से सीसा-एसिड बैटरी असुरक्षित तरीके से ही री-सायकिल कर दी जाती हैं।

ये हैं स्रोत

बच्चों के सीसा धातु की चपेट में आने के दूसरे स्रोतों में पानी भी शामिल होता है। इसके अलावा खदान जैसे सक्रिय उद्योग, सीसा युक्त पेंट और पिगमेंट व सीसा युक्त गैसोलान भी बच्चों में सीसा धातु के खतरे के अन्य प्रमुख स्रोत हैं। खाद्य पदार्थों की धातु बोतलें, मसालों, सौंदर्य उत्पादों, आयुर्वेदिक दवाओं, खिलौनों और अन्य उपभोक्ता उत्पादों का भी सीसा धातु के फैलाव में बड़ा हिस्सा है। जो लोग इन क्षेत्रों में काम करते हैं इस घातु के कण उनके शरीर और कपड़ों से चिपटकर उनके घर और फिर बच्‍चों तक पहुंच जाते हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

महत्वपूर्ण सूचना...


बेसिक शिक्षा परिषद के शासनादेश, सूचनाएँ, आदेश निर्देश तथा सभी समाचार एक साथ एक जगह...
सादर नमस्कार साथियों, सभी पाठकगण ध्यान दें इस ब्लॉग साईट पर मौजूद समस्त सामग्री Google Search, सोशल नेटवर्किंग साइट्स (व्हा्ट्सऐप, टेलीग्राम एवं फेसबुक) से भी लिया गया है। किसी भी खबर की पुष्टि के लिए आप स्वयं अपने मत का उपयोग करते हुए खबर की पुष्टि करें, उसकी पुरी जिम्मेदारी आपकी होगी। इस ब्लाग पर सम्बन्धित सामग्री की किसी भी ख़बर एवं जानकारी के तथ्य में किसी भी तरह की गड़बड़ी एवं समस्या पाए जाने पर ब्लाग एडमिन /लेखक कहीं से भी दोषी अथवा जिम्मेदार नहीं होंगे, सादर धन्यवाद।