प्रयागराज : कोरोना के कारण फंस गई दो लाख छात्रों की स्कॉलरशिप।
छात्रवृत्ति मामला : खत्म होगी 75 फीसदी उपस्थिति की अनिवार्यता, नेशनल काउंसिल ऑफ टीचर्स एजुकेशन को भेजा गया जा प्रस्ताव।
छात्रवृत्ति मामला : खत्म होगी 75 फीसदी उपस्थिति की अनिवार्यता, नेशनल काउंसिल ऑफ टीचर्स एजुकेशन को भेजा गया जा प्रस्ताव।
प्रयागराज : छात्रवृत्ति के लिए 75 फीसदी उपस्थिति की अनिवार्यता को जल्द ही खत्म किया जाएगा। कोरोना काल में स्कूल-कॉलेज बंद होने और ऑनलाइन कक्षाओं के संचालन के कारण जल्द ही यह व्यवस्था की जा सकती है। इसके लिए नेशनल काउंसिल ऑफ टीचर्स एजुकेशन को प्रस्ताव भेजा गया है। जिसकी सूचना पिछले दिनों शासन की ओर से जिले के अफसरों को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए दी गई थी।
इस साल कोरोना के कारण सभी स्कूल-कॉलेज मार्च से बंद हैं। अंग्रेजी मीडियम के स्कूलों ने तो ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन शुरू कर दिया है वहीं हिन्दी माध्यम में भी इसकी कवायद शुरू हो गई है। हिन्दी मीडियम के तमाम स्कूलों में ऐसे छात्र-छात्राएं हैं जिनके पास न तो स्मार्ट फोन है और न ही कंप्यूटर और लैपटॉप। ऐसे में सभी का ऑनलाइन कक्षाओं में शामिल होना संभव नहीं है। स्कूलों में पंजीकृत ये छात्र-छात्राएं दूसरों से कक्षा कार्य जानकार पढ़ाई जरूर कर सकते हैं।
ऐसे छात्र-छात्राओं को ध्यान में रखते हुए 75 फीसदी उपस्थिति की अनिवार्यता को खत्म किए जाने की तैयारी चल रही है। क्योंकि समाज
कल्याण विभाग, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग और पिछड़ा वर्ग
कल्याण विभाग से जो छात्र छात्राओं को छात्रवृत्ति दी जाती है
उनकी 75 फीसदी उपस्थिति अनिवार्य होती है। पात्र छात्र-छात्राएं इसलिए नियम बनाने की तैयारी है।
केवल उपस्थिति के कारण छात्रवृत्ति से वंचित न रह जाएं
पिछले दिनों समाज कल्याण विभाग और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए प्रदेश के सभी प्रमुख विश्वविद्यालय और कॉलेज के लोगों से बात की थी।
जिस पर राज्य विश्वविद्यालय की रजिस्ट्रार की ओर से यह प्रस्ताव दिया गया था। जिस पर चर्चा के बाद प्रस्ताव नेशनल काउंसिल ऑफ टीचर्स एजुकेशन को भेजने की बात हुई है। प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद इस बार 75 फीसदी उपस्थिति की अनिवार्यता में रियायत मिल सकती है।
प्रयागराज : कोरोना संक्रमण ने तमाम योजनाओं को पीछे ठेल दिया है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण योजनाओं में छात्रवृत्ति योजना है। इस साल अब तक छात्रों के खाते में छात्रवृत्ति का पैसा नहीं गया है। तमाम विभागों की प्रक्रिया भी नहीं शुरू हुई है जबकि कुछ विभागों ने ऑनलाइन आवेदन को शुरू कराया है।
इस बार छात्रवृत्ति के लिए प्रदेश सरकार ने बजट तो जारी किया है, लेकिन बजट विभागों के खाते में जाने के लिए वित्त आयोग की अनुमति की जरूरत है। अब तक आयोग से अनुमति नहीं मिली है। इसके साथ ही सभी विभाग और शिक्षण संस्थानों के ज्यादातर लोग भी इस वक्त कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने में ही लगे हैं। छात्रवृत्ति का जो काम अप्रैल और मई में शुरू होना चाहिए था वो अब तक नहीं शुरू हो सका है। पिछले साल समाज कल्याण विभाग से प्री मैट्रिक में सभी वर्गों के लिए 30 हजार 551 छात्रों का लक्ष्य था। इसके सापेक्ष 28 हजार 404 लाभार्थियों के आवेदन स्वीकृत हुए थे। ऐसे ही इंटर में सभी वर्गों के लिए कुल 28 हजार 459 के लक्ष्य के सापेक्ष 24 हजार 942 आवेदन स्वीकृत हुए और 22 हजार 787 लाभार्थियों के खाते में छात्रवृत्ति की राशि गई थी। स्नातक कक्षाओं के लिए कुल एक लाख तीन हजार 596 का लक्ष्य था, जिसके सापेक्ष 94 हजार 886 आवेदन स्वीकृत हुए और छात्रवृत्ति 78 हजार 382 लाभार्थियों के खाते में गई थी। इस साल अब तक आवेदन शुरू नहीं हो सका है।
ऐसे ही अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की ओर से दो छात्रवृत्ति दी जाती है। एक केंद्र सरकार की योजना के तहत और एक राज्य सरकार की योजना के तहत। गत वर्ष केंद्र और राज्य की योजना में लगभग 19-19 हजार लाभार्थियों को छात्रवृत्ति का लाभ दिया गया था। जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी एसपी तिवारी का कहना है कि संस्थाओं को आवेदन के लिए कहा गया है। ऑनलाइन आवेदन शुरू हो चुका है।
दो अक्टूबर को होगा छात्रवृत्ति दिवस : छात्रों को छात्रवृत्ति योजना का लाभ दिलाने के लिए दो अक्टूबर को छात्रवृत्ति दिवस मनाया जाएगा। इस क्रम में सभी शिक्षण संस्थाओं से नवीनीकरण के लिए कहा गया है। संस्थाओं की ओर से स्वीकृत आवेदन आने के बाद आगे की कार्रवाई होगी।
यहां फंसा है पेच : छात्रवृत्ति योजना में अलग-अलग पेच हैं। एक तो वित्त आयोग की अनुमति का मामला है। साथ ही इस बार छात्रों को प्रमोट करने के लिए बोला गया है। अब तक तमाम जगह पर परिणाम अपलोड करने के काम चल रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि जब सभी संस्थाओं से परिणाम अपलोड होंगे। इसके बाद ही अंतिम पात्रों की सूची मिलेगी। जिस पर कार्रवाई हो सकती है।