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मेरठ : फर्जीवाड़ा नकली किताबों पर असली वाटरमार्क, कागज भी फर्जी, जंगल में चल रहा था करोड़ों का खेल, फर्जी किताबों के प्रकाशन का मामला,मेरठ में नकली किताबों का भंडाफोड़

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मेरठ : फर्जीवाड़ा नकली किताबों पर असली वाटरमार्क, कागज भी फर्जी, जंगल में चल रहा था करोड़ों का खेल, फर्जी किताबों के प्रकाशन का मामला,मेरठ में नकली किताबों का भंडाफोड़

गजेंद्र चौधरी, अमर उजाला, मेरठ मेरठ में एनसीईआरटी की 35 करोड़ रुपये से ज्यादा की नकली पुस्तकों के भंडाफोड़ के बाद शनिवार को एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।दिल्ली से एनसीईआरटी का विशेष दल जांच के लिए मेरठ पहुंचा तो पता चला कि बरामद की गईं 342 तरह की अलग-अलग प्रकार की पुस्तकें तो नकली हैं हीं। लेकिन उनमें एनसीईआरटी का वाटरमार्क असली है। कागज भी घटिया स्तर का है। ऐसे में प्रबल अंदेशा है कि इस पूरे फर्जीवाड़े का कनेक्शन एनसीईआरटी से जुड़ा हो सकता है। पुलिस ने एनसीईआरटी के दल से इस मामले में कई सवाल-जवाब किए।एसटीएफ ने शुक्रवार को परतापुर और मोहकमपुर में सचिन गुप्ता के गोदाम और प्रिंटिंग प्रेस पर छापा मारकर 35 करोड़ से ज्यादा की एनसीईआरटी की नकली पुस्तकें बरामद की थीं।इनकी जांच के लिए शनिवार को दिल्ली से एनसीईआरटी के वाणिज्य अधिकारी आशुतोष मिश्रा, वाणिज्य प्रबंधक अमिताभ कुमार, मुख्य उत्पादन अधिकारी अरुण चिकारा, मुख्य वाणिज्य प्रबंधक विपिन दीवान का दल सचिन गुप्ता की मोहकमपुर स्थित प्रिंटिंग प्रेस और परतापुर के अच्छरौड़ा स्थित गोदाम पर जांच के लिए पहुंचा। बिना लाइसेंस छप रही थीं पुस्तकें
करीब 2 घंटे की जांच पड़ताल के बाद एनसीईआरटी के अधिकारियों ने बताया कि सचिन गुप्ता के पास एनसीईआरटी की पुस्तकें छापने का मुद्रक या प्रकाशक के रूप में कोई लाइसेंस नहीं है। ना ही उसका नाम एनसीईआरटी में दर्ज है।

360 में 342 का खेल

पुलिस के अनुसार एनसीईआरटी की 360 अलग-अलग प्रकार की फर्जी किताबें गोदाम में मिली हैं। जिनमें से 342 तरह की अलग-अलग किताबों में प्रत्येक पन्नों पर एनसीईआरटी का वाटरमार्क मिला है। बड़ा सवाल यह है कि यह असली वाटरमार्क सचिन गुप्ता के पास कहां से आया।क्योंकि यह वाटरमार्क केवल एनसीईआरटी के पास ही होता है। इसको लेकर अब एनसीईआरटी को लेकर भी सवाल उठने शुरू हो गए है।एनसीईआरटी के अधिकारियों ने इसे लेकर चिंता जताई है। कहा है कि वाटरमार्क सचिन गुप्ता के पास कैसे आया, इसकी जांच होनी बेहद जरूरी है।

पुस्तक के हर पन्ने पर वाटरमार्क

एनसीईआरटी के वाणिज्य अधिकारी आशुतोष मिश्रा ने बताया कि एनसीईआरटी की किताब के हर पन्ने पर वाटरमार्क होता है। नकली किताबों पर भी प्रत्येक पन्ने पर वाटरमार्क मिला है। यह बात स्पष्ट है कि पूरी प्लानिंग और एनसीईआरटी की सारी जानकारियां नकली किताब छापने वालों को पहले से ही हैं। सवाल यह उठता कि एनसीईआरटी का असली वाटरमार्क सचिन गुप्ता को कहां से मिला। एनसीईआरटी विभागीय जांच भी कराएगा।

किताबों में कागज भी नकली

342 तरह की नकली किताबों में एनसीईआरटी का वाटरमार्क असली मिलने के बाद एनसीईआरटी के अधिकारियों ने कागज की भी जांच की। मुख्य वाणिज्य प्रबंधक विपिन दीवान ने बताया कि एनसीईआरटी की किताबों में प्रयोग किए जाने वाले कागज की गुणवत्ता की पूरी जांच होती है। कागज इस तरह का प्रयोग किया जाता है जो छात्रों की आंखों को प्रभावित न करे। लेकिन इस गोदाम से जो पुस्तकें बरामद हुईं हैं, उनमें घटिया कागज मिला है, जो छात्रों की आंखों को चुभने वाला है।

मेरठ में छह प्रकाशक ही अधिकृत

वाणिज्य अधिकारी आशुतोष मिश्रा ने बताया मेरठ में 6 प्रकाशक ही एनसीईआरटी की किताबें छापने के लिए अधिकृत हैं। विद्या प्रकाशन, एसके ऑफसेट, न्यू किंग, पलक प्रिंटर्स, कृष्णा ऑफसेट व नव दुर्गा एनसीईआरटी की किताबें प्रकाशित करती हैं। सचिन गुप्ता के पास एनसीईआरटी की किताबें प्रकाशित करने की कोई अनुमति नहीं है। एनसीईआरटी की टीम ने पुलिस को सारे दस्तावेज सौंप दिए हैं। जिनके आधार पर पुलिस कार्रवाई कर सकती है। 

जंगल में चल रहा था करोड़ों का खेल

 एनसीईआरटी की करोड़ों की फर्जी किताबें जंगल में गोदाम बनाकर रखी गई थी। यहां से गाड़ियां में किताबें सप्लाई होती थीं। गोदाम तक सड़कें टूटी फूटी हैं। जहां कभी चेकिंग करने कोई नहीं गया। परतापुर पुलिस की भूमिका संदिग्ध है।एनसीईआरटी की फर्जी किताब में पुलिस का मेल दिख रहा है। अच्छरोंडा और कांशी मार्ग पर सचिन गुप्ता ने जंगल में गोदाम बनाया हुआ है, जहां करोड़ों  कीमत की किताबें रखी जाती थीं। इसके बारे में किसी को भनक न लगे, इसलिए शायद जंगल में गोदाम बनाया गया।पुलिस की कार्यशैली भी सवालों के घेरे में है। बताया गया कि गोदाम की जानकारी परतापुर पुलिस को पहले से थी। इसके अलावा भी जंगल में कई गोदाम व फैक्टरियां चल रही हैं। शायद यही वजह है कि एसटीएफ ने छापे के दौरान परतापुर पुलिस से थोड़ी दूरी बनाई थी। परतापुर पुलिस की भूमिका को लेकर शनिवार को भी सवाल उठते रहे। लोगों का मानना है कि करोड़ों रुपये का फर्जी काम करने के लिए सचिन गुप्ता ने पुलिस से सेटिंग जरूर की होगी। लेकिन पुलिस ने कभी मामले की जानकारी एनसीईआरटी, शिक्षा विभाग या प्रशासन के अधिकारियों को नहीं दी।

भाजपा नेताओं की हो गिरफ्तारी: राजपाल सिंह

एनसीईआरटी की नकली किताबों के मामले पर राजनीति गरमा गई है। सपा जिलाध्यक्ष ने भाजपा विधायक को घेरा है। भाजपा के कैंट विधायक के बेटे  पर गंभीर आरोप लगाए हैं। सपा के निवर्तमान जिलाध्यक्ष राजपाल सिंह शनिवार को मीडिया से मुखातिब हुए। उन्होंने कहा कि शिक्षा से जुड़ा अपराध सबसे बड़ा अपराध है। इससे आने वाली पीढ़ियों का भविष्य बर्बाद होता है।नकली किताब कांड में भाजपा नेताओं की गिरफ्तारी होनी चाहिए, जबकि पुलिस ने मजदूरों की गिरफ्तारी की है। इसमें भाजपा के कई बड़े नेता शामिल हैं। कैंट विधायक के बेटे पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इसमें सम्मिलित भाजपा नेताओं की गिरफ्तारी होनी चाहिए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो 24 अगस्त को सपा कमिश्नरी पर प्रदर्शन करेगी। आंदोलन करेगी। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी इस पर ट्वीट किया है।

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