लखनऊ : यूपी फीस न जमा होने पर बच्चों के नाम न काटने के मामले मे कोर्ट ने मांगा जवाब
अमर उजाला ब्यूरो, लखनऊ हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने कोरोना के दौर में फीस जमा न होने पर प्राईवेट स्कूलों के बच्चों का नाम न काटने के शासनादेश को चुनौती देने वाली याचिका पर याचिकाकर्ताओं और राज्य सरकार से हलफनामे पर सुझाव तलब किए हैं। कोर्ट ने याचियों के अधिवक्ताओं और राज्य सरकार की तरफ से पेश हुए महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह को मामले में कई बिन्दुओं पर अपने-अपने सुझाव दो हफ्ते में हलफनामे के जरिए पेश करने को कहा है।न्यायमूर्ति पंकज कुमार जायसवाल और न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश एसोसिएशन ऑफ प्राईवेट स्कूल्स ऑफ़ यूपी की ओर से अतुल कुमार व एक अन्य की याचिका पर दिया। याचियों के अधिवक्ता मनीष वैश्य के मुताबिक इसमें यूपी सरकार के बीती 4 जुलाई के उस शासनादेश को चुनौती देकर रद करने की गुजरिश की गयी है, जिसमें कहा गया है कि कोरोना आपदा के चलते फीस जमा न होने पर प्राईवेट स्कूलों के बच्चों के नाम न काटे जाएं। अधिवक्ता वैश्य की दलील थी कि यह शासनादेश कानूनी मंशा के मुताबिक नहीं है क्योंकि आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत राज्य सरकार को ऐसा शासनादेश जारी करने की शक्ति नहीं है। ऐसे में यह खारिज करने लायक है।
याचिका में इस शासनादेश के अमल पर रोक लगाए जाने की अंतरिम राहत मांगी गई है। उधर राज्य सरकार के अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता एचपी श्रीवास्तव ने मामले में सरकार से निर्देश लेने और कोर्ट को यह बताने कि ऐसी समान याचिकाएं, जो हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, के लिए पहले और समय मंगा था।कोर्ट ने सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के जरिए मामले की सुनवाई के बाद याचियों को खास तौर पर यह सुझाव पेश करने का निर्देश दिया कि क्या वे अपने शिक्षकों व स्टाफ को बगैर किसी कटौती के नियमित वेतन दे रहे हैं। यह भी सुझाव पेश करने को कहा है कि अगर जरूरतमंद स्टूडेंट्स के मामले में किश्तों में फीस जमा किए जाने की अनुमति दी जाती है तो फीस की किश्तों की वसूली सुनिश्चित करने के लिए क्या एहतियात या शर्तें लगाई जानी चाहिए। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद नियत करते हुए इन्हीं पहलुओं पर याचियों और महाधिवक्ता को लिखित सुझाव पेश करने के निर्देश दिए है।