नई दिल्ली : प्राकृतिक तरीके से हर्ड इम्यूनिटी विकसित होने में लगेगा लंबा समय, इसलिए वैक्सीन बनाने पर है जोर- WHO Chief Scientist
कोविड-19 के प्रकोप से बचाव के लिए हर्ड इम्यूनिटी को विकसित करने की बात कही जा रही है लेकिन प्राकृतिक रूप से इसको विकसित होने में लंबा समय लग सकता है
नई दिल्ली (ऑनलाइन डेस्क)। कोविड-19 की मार झेलते हुए पूरी दुनिया को सात माह से लंबा समय हो गया है। अब भी ये नहीं कहा जा सकता है कि इस जानलेवा वायरस से दुनिया को कब छुटकारा मिलेगा। हालांकि, विश्व स्वास्थय संगठन के महासचिव टैड्रॉस ये जरूर कह चुके हैं कि ये वायरस जानलेवा स्पेनिश फ्लू की तुलना में जल्द खत्म हो जाएगा। गौरतलब है कि स्पेनिश फ्लू को खत्म होने में दो वर्ष का समय लग गया था। ऐसे में इस वायरस से निपटने के लिए दुनिया के सभी वैज्ञानिकों का पूरा जोर इसकी एक कारगर वैक्सीन बनाने पर है तो दूसरा जोर इसके खिलाफ हर्ड इम्यूनिटी को बढ़ाने और विकसित करने पर भी है। इस बाबत विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी एक पूरी सीरीज शुरू की है जिसका नाम Sciencein5 है। इस सीरीज में विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रमुख वैज्ञानिक डॉक्टर सौम्या स्वामीनाथन हर्ड इम्यूनिटी से जुड़े कुछ खास सवालों का जवाब दे रही हैं। ये सवाल वो हैं जो एक आम आदमी के मन में उठ रहे हैं हर्ड इम्यूनिटी पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि हर्ड इम्यूनिटी के विकसित होने के बाद हर किसी को वायरस के खतरे से बचाना जरूरी नहीं होता है। उनके मुताबिक खसरा एक ऐसी बीमारी है जिसकी कारगर वैक्सीन उपलब्ध है। ऐसे में इस बीमारी के प्रति हर्ड इम्यूनिटी विकसित करने के लिए करीब 95 फीसद बच्चों को ये दवा दी जाएगी। ऐसे में जो 5 फीसद बच्चे इससे वंचित रह भी जाएंगे तो उनकी वजह से दूसरों पर असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि ये अन्य बच्चों को भी प्रोटेक्ट करने में समर्थ होंगे। हर्ड इम्यूनिटी एक तरह से एक बैरियर का काम करती है जो वायरस की कड़ी को तोड़ती है। इसके विकसित होने के बाद किसी भी जगह पर हर किसी को प्रोटेक्ट करने से बचा जा सकता है क्योंकि वो खुद इसके सुरक्षा कवच के दायरे में आ जाता है।कोविड और हर्ड इम्यूनिटी के आपसी संबंध पर डॉक्टर सौम्या का कहना था कि SARS-CoV-2 Virus काफी घातक है। इस वायरस की कड़ी को तोड़ने के लिए 60-70 फीसदी लोगों में हर्ड इम्यूनिटी का होनो जरूरी है। तभी इसकी कड़ी को तोड़पाना संभव होगा। लेकिन यदि इसको प्राकृतिक रूप से विकसित होने के लिए छोड़ दिया जाता है तो इसमें बहुत लंबा समय लग जाएगा। ऐसे में हम बहुत लोगों को खो देंगे। यही वजह है कि इसको नेचुरल तरीके से बनने का इंतजार नहीं किया जा सकता है। इसलिए इस वायरस को खत्म करने के लिए वैक्सीन बनाने पर अधिक जोर दिया जात रहा है।उन्होंने कहा कि वैक्सीन के माध्यम से हम इसमें सफल हो सकते हैं और लोगों को इससे बचाया जा सकता है। उनका ये भी कहना है कि इससे बेहतर विकल्प फिलहाल और कोई दूसरा नहीं है।वैक्सीन के आने तक लोगों को बचाने के उपाय के अंतर्गत डॉक्टर सौम्या का कहना था कि जब तक ऐसा नहीं होता है तब तक लोगों को पूरी एहतियात बरतनी होगी। उन्हें भीड़भाड़ वाही जगहों पर जाने से बचना होगा। मास्क लगाने को अपनी जरूरी आदत में शुमार करना होगा। थोड़ी-थोड़ी देर में हाथों को धोते रहना होगा और एक दूसरे से दूरी बनाकर रखनी होगी। इसके अलावा ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग करनी होंगी और उनका इलाज करना होगा। जो लोग इसके संक्रमण का शिकार होते हैं उन्हें खुद को आइसोलेट और क्वारंटीन करना होगा। इन सब उपायों को अपनाकर हम खुद को और दूसरे लोगों को बचा सकते हैं।