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नई दिल्ली : सांसदों की वेतन कटौती का बिल पास, वेतन कटौती बिल लोकसभा में पास, 30% वेतन कटौती बिल लोकसभा में पास।

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नई दिल्ली : सांसदों की वेतन कटौती का बिल पास, वेतन कटौती बिल लोकसभा में पास, 30% वेतन कटौती बिल लोकसभा में पास।

सांसदों की 30 फीसदी वेतन कटौती वाला बिल लोकसभा से पास

एजेंसी,नई दिल्ली। | Published By: Rajesh KumarUpdated: Tue, 15 Sep 2020 06:37 PM

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लोकसभा में मंगलवार को संसद सदस्य वेतन, भत्ता और पेंशन (संसोधन) विधेयक, 2020 गया। इस विधेयक के तहत एक साल तक सांसदों को सैलरी 30 फीसदी कटकर मिलेगी। लोकसभा में ज्यादातर सांसदों ने इस बिल का समर्थन किया, लेकिन उनकी यह मांग थी कि सरकार सांसद निधि में कटौती ना करे। 

निचले सदन में संक्षिप्त चर्चा के बाद संसद सदस्य वेतन, भत्ता एवं पेशन संशोधन विधेयक 2020 को धवनिमत से मंजूरी दे दी गई। यह विधेयक इससे संबंधित संसद सदस्य वेतन, भत्ता एवं पेशन अध्यादेश 2020 के स्थान पर लाया गया है। इसके माध्यम से संसद सदस्यों के वेतन, भत्ता एवं पेशन अधिनियम 1954 में संशोधन किया गया है। कोरोना वायरस महामारी के बीच इस अध्यादेश को 6 अप्रैल को मंत्रिमंडल की मंजूरी मिली थी और यह 7 अप्रैल को लागू हुआ था। चर्चा में भाग लेते हुए अधिकतर विपक्षी सदस्यों ने कहा कि सांसदों के वेतन में कटौती से उन्हें कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन सरकार को सांसद निधि के निलंबन पर पुनर्विचार करना चाहिए।

लोकसभा में इस बिल पर चर्चा के दौरान अमरावती सांसद समेत कई संसद सदस्यों ने कहा कि केन्द्र सरकार चाहे तो हमारी पूरी सैलरी ले ले, लेकिन एमपी लैड्स फंड पूरा मिलना चाहिए। तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा कि सरकार हमारा पूरा वेतन ले ले, कोई भी सांसद इसका विरोध नहीं करेगा। लेकिन एमपी लैड्स फंड पूरा मिलना चाहिए। जिससे कि हम लोगों के फायदे के लिए काम कर सकें।

उधर, टीएमसी के सांसद सौगत रॉय ने कहा कि जितना पैसा हो आप सांसदों से ले सकते हैं। आप हमारा पूरा वेतन ले सकते हैं लेकिन एमपी लैड्स फंड दे देजिए। हम इसी के सहारे अपने क्षेत्रों में काम करते हैं। प्रधानमंत्री मोदी के पास 303 सांसद हैं तो इसका मतलब ये है क्या कि बाकी सांसदों का कोई महत्व नहीं है। 

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संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने निचले सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि कोविड-19 के कारण उत्पन्न अभूतपूर्व स्थिति को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं। यह कदम उनमें से एक है। उन्होंने कहा कि परोपकार की शुरूआत घर से होती है, ऐसे में संसद के सदस्य यह योगदान दे रहे हैं और यह छोटी या बड़ी राशि का सवाल नहीं है बल्कि भावना का है।

जोशी ने कहा कि प्राकृतिक आपदा आती है तब एक विशिष्ट क्षेत्र को प्रभावित करती है, युद्ध दो देशों की सीमाओं को प्रभावित करता है। लेकिन कोविड-19 ने पूरे विश्व को प्रभावित किया है, दुनिया की अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है।  उन्होंने कहा कि सरकार ने 20 लाख करोड़ रूपये के पैकेज के साथ ही 1.76 लाख करोड़ रूपये की गरीब कल्याण योजना की शुरूआत की। सरकार ने मनरेगा का आवंटन बढ़ाया और ग्रामीण आधारभूत ढांचे के लिये काम किया । 

सांसद क्षेत्र विकास निधि (एमपीलैड) के बारे में सदस्यों के सवालों के जवाब में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सांसद निधि को अस्थायी रूप से दो वर्षो के लिये निलंबित किया गया है। उन्होंने कहा कि लोगों की मदद के लिये कुछ कड़े फैसले लेने की जरूरत थी। चर्चा में हिस्सा लेते हुए लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि वह एक पिछड़े हुए क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं और ऐसे में सांसद निधि नहीं होने से विकास कार्य प्रभावित होगा।

उन्होंने कहा कि सांसद निधि का अधिकतर पैसा गांवों, अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों के लिए खर्च होता है और ऐसे में यह निधि निलंबित करके सरकार इनके खिलाफ काम कर रही है। कांग्रेस के ही डीन कुरियाकोस ने कहा कि सरकार को सांसद निधि निलंबित करने के बजाय धन जुटाने के लिए दूसरे साधनों पर विचार करना चाहिए था।

भाजपा के विजय बघेल ने कहा कि कोरोना महामारी के समय सभी सांसदों ने अपने क्षेत्रों के लिए काम किया और अब उन्हें इस विधेयक का समर्थन करके भी अपना योगदान देना चाहिए। द्रमुक के कलानिधि वीरस्वामी, वाईएसआर कांग्रेस के एम भारत और कुछ अन्य सदस्यों ने भी सांसद निधि के निलंबन का विरोध किया। 

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