लखनऊ : प्रदेश सरकार को 31661 पदों पर भर्ती पूरी करना आसान नहीं
शिक्षक भर्ती पूरी करने में आरक्षण के मानक, शिक्षामित्रों की श्रेणी का निर्धारण होगी चुनौती
प्रयागराज। बेरोजगारों की ओर से खाली पदों को भरने के लिए लगातार बनाए जा रहे दवाब के बाद मुख्यमंत्री की ओर से 69000 शिक्षक भर्ती में शिक्षामित्रों 37339 पदों को छोड़कर शेष 31661 पदों को सप्ताह भर में भरने का निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री के आदेश के बाद बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों एवं जानकारों का कहना है कि इस भर्ती को पूरा करने का आधार क्या होगा, यह तय नहीं है। शिक्षामित्रों को भर्ती से अलग करने के बाद आरक्षण का निर्धारण कैसे किया जाएगा। शिक्षामित्रों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मिले 25 अंक के भारांक के बाद वह सामान्य अभ्यर्थियों की मेरिट से भी अधिक अंक पा गए हैं। अब यह मेरिट में आगे हो जाएंगे। 31661 शेष पदों को आरक्षण के किस मानक के आधार पर भरा जाएगा यह पता नहीं। ऐसे में अधिकारियों का कहना है कि भर्ती किस आधार पर पूरी की जाएगी, इसका आधार क्या होगा। यह बात सभी के लिए चर्चा का विषय बनी है। पूरी भर्ती में शिक्षामित्रों के पदों का निर्धारण किस मानक के आधार पर किया जाएगा।69000 शिक्षक भर्ती का परिणाम जारी होने और बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से जिला आवंटन के बाद मेरिट तय किए जाने के बाद राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग ने आरक्षण के प्रावधानों को लेकर आपत्ति उठाई थी।पिछड़ा वर्ग आयोग ने भर्ती पूरी करने में आरक्षण के मानकों को पूरा करने का निर्देश दिया है। 69000 शिक्षक भर्ती के आवेदन में गड़बड़ी करने वाले अभ्यर्थियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका के बाद उस अभ्यर्थी को आवेदन में संशोधन की अनुमति दी गई है, इसे पूरा किए बिना भर्ती पूरी करना कठिन होगा। आवेदन में संशोधन के बाद पूरी शिक्षक भर्ती की मेरिट बदल जाएगी। ऐसे में बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी किस मानक पर भर्ती पूरी करेंगे।
*नौकरी पाने वालों से अधिक नौकरी गंवाने वालों की नराजगी झेलनी होगी*
शिक्षामित्रों के 37339 पदों को रोककर 31661 पदों को भरने के आदेश के बाद सरकार जितने पदों को भरेगी नहीं, उससे अधिक 37339 के नौकरी के रास्ते रोककर उनकी नाराजगी मोल लेगी। शिक्षक भर्ती में जो अभ्यर्थी बाहर हो रहे हैं सरकार के इस फैसले के विरोध में प्रदेश भर में आंदोलन कर सकते हैं। ऐसे में सरकार को नौकरी देने वालों से अधिक लोगों की नाराजगी झेलनी होगी।