लखनऊ : छात्रवृत्ति के लिए अल्पसंख्यक संस्थानों में 50% छात्रों का अल्पसंख्यक होना अनिवार्य, नियम का पालन न करने वाले अल्पसंख्यक संस्थानों से होगी रिकवरी।
लखनऊ : अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों में कुल प्रवेश क्षमता के सापेक्ष 50 प्रतिशत अल्पसंख्यक छात्र होने पर ही इन संस्थानों में अनुसूचित जाति, जनजाति व सामान्य वर्ग के छात्रों को छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति योजना का लाभ मिल सकेगा। अगर किसी अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान ने इस नियम के खिलाफ जाकर छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति की राशि ली है, तो उससे वसूली की जाएगी।
समाज कल्याण निदेशक बालकृष्ण त्रिपाठी ने सभी जिला समाज कल्याण अधिकारियों को पत्र भेजकर छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति की नियमावली का शत-प्रतिशत पालन करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि राज्यस्तरीय या अखिल भारतीय स्तर की प्रवेश परीक्षा में हिस्सा लिए बिना अगर कोई विद्यार्थी दाखिला लेता है तो उस पाठ्यक्रम के सभी वर्षों में मैनेजमेंट कोटे का माना जाएगा।
समाज कल्याण निदेशक ने किसी भी शिक्षण संस्थान में विभिन्न पाठ्यक्रमों में 30 प्रतिशत से अधिक अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्र होने और 1 करोड़ रुपये से अधिक की शुल्क भरपाई होने पर रिकॉर्ड का अनिवार्य रूप से सत्यापन कराने के लिए कहा है। प्रत्येक निजी शिक्षण संस्थान और वहां पढ़ रहे छात्रों के रिकॉर्ड का सत्यापन कराने के लिए भी निर्देश दिए हैं।
▪️नियम का पालन न करने वाले अल्पसंख्यक संस्थानों से होगी रिकवरी
▪️प्रत्येक निजी कॉलेज और छात्र के रिकॉर्डिंग करना होगा सत्यापन
ये भी दिए निर्देश
▪️किसी भी संस्था में नवीनीकरण के छात्रों की संख्या 50 प्रतिशत से कम है तो संस्था को ली गई राशि वापस करनी होगी।
▪️छात्रों का आधार कार्ड हाईस्कूल के अंकपत्र के अनुसार होना अनिवार्य है।
▪️शिक्षण संस्थानों में हर साल करना होगा शिक्षकों का सत्यापन।
▪️शिक्षण संस्थानों की मान्यता का लगातार कराया जाएगा परीक्षण।