प्रयागराज : अपने ही प्रोफेसर की अर्हता तिथि तय नहीं कर पा रहा इविवि
हिन्दुस्तान टीम,प्रयागराज | इलाहाबाद विश्वविद्यालय में नियमित कुलपति के लिए इंटरव्यू के बाद सर्च कमेटी ने भले ही पांच लोगों का पैनल मंत्रालय को भेज दिया हो, लेकिन इंटरव्यू में चयनित इविवि से जुड़े एक शिक्षाविद की अर्हता को लेकर संशय बरकरार है। शिक्षा मंत्रालय को 10 दिन के भीतर ही इविवि को अपने ही एक प्रोफेसर के संबंध में तीसरी बार जवाब भेजना पड़ा है। उक्त प्रोफेसर की अर्हता पर दो अलग-अलग जवाबों से असंतुष्ट शिक्षा मंत्रालय ने इविवि प्रशासन से तीसरी बार विस्तृत जवाब मांगा है। इविवि प्रशासन ने तीसरी बार शिक्षा मंत्रालय को जवाब भेज दिया है।ज्ञात हो कि इविवि में स्थायी कुलपति के लिए देशभर से कुल 413 शिक्षाविदों ने आवेदन किया था। सर्च कमेटी ने स्क्रीनिंग के बाद 15 शिक्षाविदों को साक्षात्कार के लिए आमंत्रित किया। इसमें इविवि से जुड़े चार शिक्षक शामिल थे। इनमें से एक शिक्षाविद् की अर्हता पर कुछ लोगों ने शिक्षा मंत्रालय से आपत्ति दर्ज कराई थी। मंत्रालय ने उस शिक्षक के साथ साक्षात्कार के लिए चयनित सभी 15 दावेदारों की शैक्षिक अर्हता सम्बन्धी अभिलेख तलब कर लिया।इविवि की तरफ से 24 अगस्त को भेजे गए जवाब में बताया गया कि जिस शिक्षक पर आपत्ति है उनका प्रोफेसर पद पर चयन कॅरियर एडवांसमेंट स्कीम (कैस) के तहत वर्ष 2015 में अर्हता तिथि के अनुसार किया गया। पत्र में यह स्पष्ट किया गया था कि यह अर्हता तिथि एक जनवरी 2009 है, जो कुलपति द्वारा गठित अर्हता तिथि समिति द्वारा तय की गई थी। इस पर कुलपति ने अपनी मंजूरी भी दी थी। लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने 27 अगस्त को भेजे गए पत्र में अर्हता तिथि को 29 सितंबर 2010 बताया। मंत्रालय ने तीसरी बार 28 अगस्त को भेजे पत्र में अर्हता तिथि समिति की 13 दिसम्बर 2018 को रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि शिक्षक के पूर्व अनुभव को कार्य परिषद ने 20 दिसम्बर 2018 को मंजूरी दी। इसके अलावा इसी दिन परिषद ने प्रस्ताव पारित कर शिक्षक की अर्हता तिथि एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर पद के लिए एक जनवरी 2006 और एक जनवरी 2009 तय कर दी। मंत्रालय ने कहा कि अपने नए जवाब में विश्वविद्यालय ने कार्य परिषद की 20 दिसम्बर 2018 की बैठक में लिए गए निर्णय का जिक्र नहीं किया। मंत्रालय ने इस मसले पर विस्तृत जवाब तलब किया है। इविवि सूत्रों की मानें तो विश्वविद्यालय प्रशासन ने जवाब भी भेज दिया है।
जो भी मंत्रालय की ओर से जानकारी विश्वविद्यालय से मांगी जाती है, उसका समुचित जवाब विवि मंत्रालय को भेज देता है। हालांकि मंत्रालय को अर्हता के संबंध में कितनी बार जवाब भेजा गया है, इसकी स्पष्ट जानकारी नहीं है। अर्हता के संबंध में मंत्रालय ने जो जवाब मांगा है, उसे भेज दिया गया है।
डाँ. शैलेंद्र मिश्र, इविवि पीआरओ