महराजगंज : शिक्षक डॉ धनञ्जय मणि त्रिपाठी ने प्रधानमंत्री को लिखा खत, कहा- पर्यावरणीय कानूनों को सख्ती से लागू करने का आदेश दें सरकार
- प्रदूषण का बच्चों पर हो रहा बहुत बुरा असर
-प्रदूषित हवा आज हमारे देश की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक
महराजगंज । बच्चों के प्रदूषित हवा में सांस लेने से उनके स्वास्थ्य पर हो रहे गंभीर प्रभाव से चिंतित पर्यावरण मामलों के जानकार एवं महराजगंज जनपद के घुघली ब्लाक के पूर्व माध्यमिक विद्यालय बिरैचा में कार्यरत शिक्षक डॉ धनञ्जय मणि त्रिपाठी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुला खत लिखा है। डॉ धनञ्जय मणि त्रिपाठी ने भारत के सभी बच्चों के तरफ से यह खत लिखकर प्रधानमंत्री से बढ़ते वायु प्रदूषण के खिलाफ तत्काल ठोस कदम उठाने की मांग की है। वायु प्रदूषण के उच्च स्तर से जूझ रहे गांवों, कस्बों और बड़े शहरों दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और घने आबादी वाले शहरों में रहने वाले लोगों की दुर्दशा को उजागर करते हुए डॉ धनञ्जय मणि त्रिपाठी ने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया है कि वे सभी नियमों और कानूनों को सख्ती से लागू करने का आदेश दें। इससे हर भारतीय खासकर के बच्चों के स्वास्थ्य पर मंडरा रहे खतरे से उनकी रक्षा हो सकेगी।
सात सितंबर को नीले आसमान के लिए पहले अंतरराष्ट्रीय स्वच्छ वायु दिवस के मौके पर डॉ धनञ्जय मणि त्रिपाठी ने प्रधानमंत्री को लिखे खुले खत की एक कॉपी सोशल मीडिया फेसबुक, ह्वाटसऐप तथा ट्विटर पर शेयर की है। प्रधानमंत्री के साथ एक किस्सा साझा करते हुए डॉ धनञ्जय मणि त्रिपाठी ने कहा कि एक बार छात्र जीवन में उनके शिक्षक प्रो. यशवंत सिंह ने सभी छात्रों से उनके बुरे सपने के बारे में पूछा। उन्होंने खत में लिखा है, ”अपने बुरे सपने के बारे में बताते हुए मैंने अपने शिक्षक से कहा कि मैं एक ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ स्कूल आ रहे बच्चों को देख रहा हूं क्योंकि हवा बहुत प्रदूषित हो चुकी है। यह बुरा सपना दो दशक बीत जाने के बाद भी अभी भी मेरी सबसे बड़ी चिंता है क्योंकि प्रदूषित हवा आज हमारे देश की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक होती जा रही है।”
डाॅ धनञ्जय मणि त्रिपाठी ने लिखा है कि हर साल दिल्ली ही नही लखनऊ, गोरखपुर, महराजगंज जैसे कई शहरों तथा कस्बों में हवा बहुत प्रदूषित हो जा रही है, जिससे अक्टूबर के बाद सांस लेना मुश्किल हो जा रहा है। उन्होंने कहा, ”मुझे चिंता है कि अगर बच्चों को सांस लेने में मुश्किल होती है, तो अत्यधिक प्रदूषण वाले दिल्ली और अन्य शहरों में रहने वाले छोटे बच्चों और कम उम्र के बच्चों की क्या हालत होती होगी।” गोरखपुर के एक उदाहरण का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि यहां की हवा इतनी प्रदूषित हो जाती है कि लोगों को सांस लेने तक में दिक्कत होती है। उन्होंने पिछले साल अक्टूबर तथा नवंबर के दौरान खुद यह अनुभव किया था जब वह गोरखपुर में आए थे।
महराजगंज जनपद के घुघली ब्लाक के पूर्व माध्यमिक विद्यालय बिरैचा में कार्यरत शिक्षक डॉ धनञ्जय मणि त्रिपाठी युवा कार्यकर्ता रिद्धिमा ग्रेटा थनबर्ग के उस ग्रुप में शामिल रहें हैं जिन्होंने जलवायु परिवर्तन पर सरकारी कार्रवाई की कमी के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के क्लाइमेट एक्शन समिट में शिकायत दर्ज करवाए थे। वह कहतें हैं कि अगर बढ़ते वायु प्रदूषण से नहीं निपटा जाता है तो लोगों को स्वच्छ हवा में सांस लेने और जीवित रहने के लिए अपने साथ ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर चलना होगा। अपने खत के माध्यम से उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि वे देशभर में प्रदूषण के प्रबंधन से संबंधित अधिकारियों और प्रभारी अधिकारियों को सख्त निर्देश देकर सभी नियमों और कानूनों को सख्ती से लागू कराएं ताकि भारत के नागरिक स्वच्छ हवा में सांस ले सकें। खत के अंत में उन्होंने लिखा, ”कृपया हमें यह सुनिश्चित करने में मदद करें कि ऑक्सीजन सिलेंडर बच्चों के जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा न बने, जिससे हमें भविष्य में हर जगह अपने कंधों पर ले जाना पड़े।”
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