लखनऊ : बीबीएयू के शोध छात्र ने टीबी की जांच को बनाया आसान, पीएचडी छात्र ने आईआईटी कानपुर के सहयोग से इम्यूनो बायोसेंसर विकसित किया
लखनऊ। प्रमुख संवाददाता सही समय पर बीमारी का पता न चलने के कारण टीबी से बड़ी संख्या मौतें हो रही हैं।बीमारी का पता चलने पर मृत्यु दर काफी कम हो जाती है। बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय लखनऊ के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के शोध छात्र ऋषभ आनन्द ओमर ने टीबी जांच के लिए नयी तकनीक विकसित की है। ऋषभ ने बीबीएयू के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ0 पंकज कुमार अरोरा के मार्गदर्शन तथा आईआईटी कानपुर के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर डॉ निशीथ वर्मा के सहयोग से एक इम्युनो बायो सेंसर विकसित किया है। उन्होंने टीबी के बैक्टीरिया द्वारा स्रावित प्रोटीन को बायोमार्कर की तरह और उसके विरुद्ध कुछ एंटीबॉडी का उपयोग करके यह इम्यूनो बायो सेंसर विकसित किया है।जो इस बीमारी का जल्दी पता लगाने और सटीक जानकारी देने में सक्षम है। विश्वविद्यालय की प्रवक्ता रचना गंगवार ने बताया कि इस बीमारी को पता करने के लिए कई पुराने तरीके उपलब्ध हैं। परन्तु वो जल्दी और सटीक जानकारी देने के लिए उपयुक्त नही हैं। ऐसे में ऋषभ का यह प्रयास टीबी की बीमारी की जांच में काफी साहयक होगा। इस खोज से सही समय पर बीमारी का पता लगाने में मदद मिलेगी। टीबी की रोकथाम और इससे होने वाली मृत्यु दर को कम करने में आसानी होगी
*2019 में टीबी से हुई 79144 लोगों की मौत*
टीबी दुनिया भर में सबसे घातक संक्रामक रोगों में से एक है। विश्वविद्यालय की प्रवक्ता रचना गंगवार के मुताबिक दुनिया में लाखों लोग इस बीमारी से मर रहे हैं। भारत में इसके मरीजों की संख्या में लगातार इज़ाफ़ा हो रहा है। भारत के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा हाल ही में भारत में टीबी बीमारी पर एक रिपोर्ट जारी की। जिसके अनुसार वर्ष 2019 में देश में 24.04 लाख लोग इस बीमारी की चपेट में आये। यह पिछले वर्ष की तुलना में 14 प्रतिशत अधिक है। रिपोर्ट में कहा गया कि वर्ष 2019 में टीबी के कारण 79,144 लोगों की मृत्यु हुई।